अखिलेश यादव का आरोप : सूरत से वापस आ रहे मजदूरों का सवा लाख रूपया खा गए दलाल






















लखनऊ । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना संकट का इस्तेमाल में भाजपा सरकार अपने और आरएसएस के पूंजीघरानों को संरक्षण देने और गरीब, दलित, पिछड़ों तथा समाज के कमजोर वर्ग के लोगों की जिंदगी में और ज्यादा परेशानियां पैदा करने पर उतारू हो गई है। भाजपा ने मंहगाई बढ़ाने का कुचक्र तो रचा ही है मजदूरों के शोषण के लिए भी रास्ते खोल दिए हैं। भाजपा सरकार के इन जनविरोधी हरकतों से जनता में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश के द्वारा मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम कानून के अधिकांश प्राविधानों की 3 साल के लिए स्थगित कर दिया है। यह बेहद आपत्तिजनक और अमानवीय है। विस्थापन और बेरोजगारी के शिकार श्रमिकों को अब पूरी तरह उनके मालिकों की शर्तों पर काम करने के लिए विवश किये जाने की यह साजिश है। भाजपा को गरीब की नहीं पूंजीपति के हितों को बचाने की चिंता है। श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली भाजपा सरकार को तुरन्त त्यागपत्र दे देना चाहिए।
 भाजपा सरकार ने मंहगाई की मार बढ़ाने के लिए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बाइक से लेकर ट्रक तक पर ज्यादा टोल टैक्स बढ़ा दिया है। नोएडा अथारिटी द्वारा पानी की दरों में 7.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी  कर दी गई है। पेट्रोल-डीजल पर केन्द्र सरकार ने सेस और अतिरिक्त डयूटी बढ़ा दी तो उत्तर प्रदेश सरकार ने अतिरिक्त वैट लगा दिया। यह किसानों और जनता पर अत्याचार है।
राज्य कर्मचारी संकट की इस बेला में पूरे मनोयोग से उत्साहपूर्वक लगे हैं। संक्रमण का खतरा उठाकर भी वे सेवारत हैं। भाजपा सरकार उनके सम्मान का सिर्फ दिखावा कर रही है। जल निगम के कर्मचारी तीन महीने से वेतन के लिए तरस रहे हैं। उन्हें डीए भी डेढ़ साल तक नहीं मिलेगा। ऊपर से वेतन से पैसा काट कर डेढ़ करोड़ का चंदा मुख्यमंत्री के सहायता कोष में जमा हो रहा है। राजस्व विभाग में छंटनी हो रही है, मानदेय भी नहीं दिया जा रहा है।
जनता जूझ रही है। भ्रष्टाचार फलफूल रहा है। आगरा के बाद अब लखनऊ नगर निगम में बड़ा घोटाला सामने आया है। कोरोना हाॅटस्पाट के लिए 2 रूपये की सैनिटाइजर की खाली शीशी 10 रूपये में खरीदी गई। स्वास्थ्य कर्मियों को पहले अधोमानक किटे दी गईं। अब पर्याप्त पीपीई किटों का अकाल पड़ा हुआ है। रेलवे के पास दान देने के लिए तो धन है लेकिन मजदूरों को फ्री घर पहुंचाने के लिए नहीं है।
कहीं ट्रेन के नीचे कट रहे तो कहीं ट्रेन में बैठने के लिए जेब कटा रहे हैं। देश के निर्माणकर्ता भाजपा को वोट देने की कीमत चुका रहे है। सूरत से वापस आ रहे मजदूरों का सवा लाख रूपया दलाल खा गए। स्थिति भयावह होती जा रही है, लेकिन भाजपा संवेदनाशून्य है। उसे लोकलाज भी नहीं रह गई है।

















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