अमेरिका और चीन का कोरोना महामारी पर बढ़ता तनाव युद्ध की ओर बढ़ता है तो यह मानव सहित पृथ्वी पर संपूर्ण जीव जगत के लिए विनाशकारी होगा


अमेरिका और चीन का कोरोना महामारी पर बढ़ता तनाव युद्ध की ओर बढ़ता है तो यह मानव सहित पृथ्वी पर संपूर्ण जीव जगत के लिए विनाशकारी होगा | आज विश्व में अकेली परमाणु शक्ति ऊर्जा इतनी है कि उससे इस पृथ्वी को छह बार उड़ाया जा सकता है|  सभी प्रकार के विस्फोटक को शामिल कर लिया जाए तो इस पृथ्वी को 12 बार उड़ाया जा सकता है|  कोरोना का मामला अकेले चीन में ढूंढना विश्व तनाव में वृद्धि करेगा | आज जरूरत दुनिया के देशों खास करके महाशक्तियों के बीच आपसी विवाद तुरंत ही,आज ही समाप्त करने की है ,व्यापारिक कंपीटीशन रोकने की है | कोरोना का मसला दिसंबर 2019 का नहीं है वायरस तो पहले भी आए हैं इबोला ,एड्स ,स्वाइन फ्लू सार्स तथा अलग-अलग देशों में विभिन्न तरह के बुखार इन सब का जिम्मेदार हमारा विकास का मॉडल है जो हमारा पर्यावरण, जीव जंतु तथा इकोसिस्टम को बर्बाद कर रहा है | बाजार तंत्र से दिशा लेकर विकास का मॉडल हर वस्तु को खरीदने बेचने के दायरे में लाता है ,चाहे पहाड.हो या नदी| आज जरूरत हवा ,पानी, भोजन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा को बाजार तंत्र से बाहर लाने की है यानी इन्हें खरीदने बेचने की वस्तु मानने की व्यवस्था को समाप्त है बाजार व्यवस्था को अदला-बदली के लिए उपयोग किया जा सकता है हवा, पानी ,भोजन ,स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास को छोड़कर| असीमित आय को सीमित करने के लिए न्यूनतम एवं अधिकतमआय 1:5 सीमित करना होगा| जिससे वित्त के बल पर कोई पर्यावरण के संसाधनों का दुरुपयोग नहीं कर सकेगा तथा एक मानव द्वारा दूसरे मानव के खिलाफ अन्याय नहीं कर सके| हम विकास के विकसित मॉडल पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका का अनुसरण करते हैं लेकिन पुअर पीपल्स कमपेयन के विलियम जे बारबर तथा जो केनेडी जो अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य हैं के अनुसार अमेरिका में 1.7 करोड़ से 5.4 करोड़ ऐसे हैं जो खाने को तरस रहे हैं 5 लाख अमेरिकी सड़कों पर सोते हैं प्रतिवर्ष 30 लाख अमेरिकी आश्रय स्थलों में रहते हैं | स्वास्थ्य सेवाओं से गरीब और अश्वेत दूर है | 14 करोड अमेरिकी गरीब से नीचे निम्न श्रेणी में आते हैं कई लोग कोयला प्लांट की 30 मील की परिधि में रहते हैं उन्हें शुद्ध हवा नही मिलती 1.1 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनका पंजीकरण नहीं है जिनका नाम किसी दस्तावेज में नहीं है जिससे वे संघीय सरकार की राहत से वंचित हो गए हमें विकास की इस पर्यावरण विरोधी तथा आमजन विरोधी नीति को बदलना होगा वर्तमान विकास नीति तनाव युद्ध ,व्यापारिक प्रतिस्पर्धा बढ़ाती है जो मानव जाति को कहां ले जाएगी ? सोचा जा सकता है | कोरोना महामारी तो एक नमूना है | यह प्रश्न किसी एक देश का नहीं है| विश्व जनमत बदलने की जरूरत है इसकी शुरुआत प्रत्येक नागरिक अपने स्वयं से करेगा कि वह अपनी मानसिकता न्याय आधारित और इंसानियत की बनाएं | यह मानसिकता सभी राष्ट्रों ,धर्मों, नस्लो ,जातीय समुदायों के सामूहिक भला करने की होगी| इस मानसिकता से मानव आज जिंदा रहने लायक पर्यावरण और मानवीय हितों वाला विश्व समाज बना सकेगा |


ओंकार सिंह 


राष्ट्रीय सचिव,रालोद 


 


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