चुनौती को अवसर में बदलने की मंशा केवल भारत ने दिखाई - डा. सुधांशु त्रिवेदी


लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत चल रहे संवाद के सतत क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष की उपलब्धियों व साहसिक निर्णयों का लेखा-जोखा लेकर जन-जन से संवाद कर रही है। इसके साथ ही 20 लाख करोड़ रूपये के विशेष आर्थिक पैकैज से गांव, गरीब, किसान के स्वावलम्बन से आत्मनिर्भर भारत निर्माण का मंत्र जन-जन तक पहुंच रहा है। जनसंवाद के इस क्रम में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व सांसद डा. सुंधाशु त्रिवेदी ने उत्तर प्रदेश के शोध एवं नीति विषेशज्ञों के साथ भाजपा के वर्चुअल संवाद में कहा कि हमारे पास नये अवसर है, जिससे आने वाले दौर में भारत विश्व का लीडर बन सकता है। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के साथ देश का अहवान किया है, जो भारत के लिए विकास की नई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है। उन्होंने कहा कि देश के हर राज्य में कुछ न कुछ खुबी है, उसे अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की दिशा में नरेन्द्र मोदी ने लोकल से वोकल का मंत्र दिया है।


डा. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कोरोना संकट एक भीषण चुनौती के रूप में सामने आया है। विश्व के 200 से अधिक देश एक जैसी चुनौती का सामना एक साथ कर रहे हैं। लेकिन, चुनौती को अवसर में बदलने की मंशा केवल भारत ने दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यापक क्षमता, सम्यक दृष्टिकोण और संकट से निपटने की व्यापक रणनीति के साथ देश के हर समुदाय की चिंता की है। भारत के अंतिम पायदान पर खडे़ गरीब आदमी से लेकर देश के उद्योगों तक की चिंता के साथ प्रधानमंत्री ने भारत के लिए आपदा को अवसर में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में हमने अन्र्तराष्ट्रीय योग दिवस मनाया है। सांइस एवं टैक्नोलाॅजी विभाग ने योग व योगासनों पर सांइटफिक रिसर्च प्रारम्भ की है जो इस बात को प्रमाणित करेगी कि किस योग या आसन का किस अंग पर क्या प्रभाव पडेगा। हम अपनी परम्परागत व्यवस्था के द्वारा यह सिद्ध कर सकते है कि बिना औषधियों के प्रयोग से रोगों का उपाचार किया जा सकता है। देश में नए अवसर सृजित हो रहे है, बड़ी कम्पनियां भारत में उद्योग लगाने की इच्छुक है।


डा. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सरकार ने वह कार्य किया जो अपेक्षित था। देश के 42 करोड़ वंचितों तक राशन देने, महिलाओं के खातों में तीन महीने तक सहायता राशि देने, वन नेशन वन राशन कार्ड के द्वारा राशन पहुंचाने, 8 करोड़ किसानों को 2000 रुपये डीबीटी के द्वारा देने, 3 करोड़ दिव्यांगों, बुजुर्गों और निराश्रित महिलाओं को 1500 रुपये पेंशन देने, एमएसएमई उद्योगों को विकास के लिए बिना गारंटी लोन स्वीकृत करने, देश के करोड़ों लाख पटरी दुकानदारों को 10,000 रुपये का ऋण देने, जैसे सहायता कार्यक्रम चलाए।


डा. सुधांशु ने कहा कि, यह प्रधानमंत्री की दूरदर्शी नीति का परिणाम था कि देश के बिना खाताधारक 39 करोड़ आम लोगों जनधन खाता खोला गया। यह पूरे विश्व का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन (फाइनेसिंयल इंक्लूजन) था। अगर ये खाते न खोले जाते तो इस संकट के समय सभी तक सहायता देना कठिन होता। इसी तरह से प्रधानमंत्री द्वारा 5000 करोड़ के हर्बल प्लांटेंशन का पैकेज था जिससे किसानों की आय बढेंगी। एक राष्ट्र और एक राशन कार्ड की सुविधा से देश का मजदूरों की समस्या समाप्त हो गई। 


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