साहसी वही है जो दूसरों से लेने की नहीं देने की इच्छा और सामर्थ्य रखता है
भगवान शिव का एक नाम "आशुतोष" भी है। "आशुतोष" अर्थात बहुत जल्दी और बहुत कम में प्रसन्न हो जाने वाले। एक लोटा जल चढाने मात्र से ही भगवान शिव् प्रसन्न हो जाया करते हैं और अगर भोग लगाते भी हैं तो भाँग और धतूरे जैसी चीजों का।
दूसरों से कम लो, देने की भावना ज्यादा रखो। आज व्यक्ति यह नहीं सोच रहा कि मैंने दूसरों को क्या दिया? उसका समग्र चिन्तन इतना ही है कि मुझे दूसरों ने क्या दिया ?
वही साहसी है और बड़ा है जो दूसरों से लेने की नहीं देने की इच्छा और सामर्थ्य रखता है। केवल आयु में ही नहीं आचरण में भी बड़े होने का प्रमाण दो। दूसरों से अपेक्षा नहीं अपितु उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने वाले बनो। यही शिवत्व है।