सोमवती और हरियाली अमावस्या का संयोग आज


सावन सोमवार यानी आज २० जुलाई को सोमवती और हरियाली अमावस्या का संयोग बन रहा है। इससे पहले ३१ जुलाई २००० में सोमवती और हरियाली अमावस्या एक साथ थी।


इस साल हरियाली अमावस्या के दिन चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। ग्रहों की इस स्थिति का शुभ प्रभाव कई राशियों पर देखने को मिलेगा। इस व्रत में महिलाओं द्वारा तुलसी की १०८ परिक्रमाएं की जाती हैं।


हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास में आने वाली अमावस्या को श्रावण (सावन) अमावस्या कहा जाता है और इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक अमावस्या की तरह श्रावण अमावस्या पर भी पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का महत्व है। इस बार ये अमावस्या इस बार २० जुलाई के दिन पुनर्वसु नक्षत्र, सोमवार के दिन पड़ रही है। जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं।


सावन महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता हैं। इस अमावस्या का संबंध प्रकृति, पितृ और भगवान शंकर से है। तीनों लोक से संबंध होने के कारण इस अमावस्या का अपना विशेष महत्व है।


श्रावण अमावस्या 

श्रावण अमावस्या, प्रारंभ सोमवार
जुलाई, २०, २०२० को ००:१० ए एम. 


अमावस्या समाप्त, जुलाई २०, २०२० को २३:०२ पी एम. पर 
 
सोमवती अमावस्या बन रहा है विशेष संयोग:-        


इस साल की श्रावण अमावस्या कई मायनों में विशेष है। 


हरियाली अमावस्या के दिन पौधा लगाना माना जाता है शुभ:-

श्रावण (सावन)  महीने की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधारोपण किया जाता है। इस दिन पौधारोपण से ग्रह दोष शांत होते है।


शास्त्रों में कहा गया है इससे देवों के साथ ही पितृ भी प्रसन्न होते हैं। इस अमावस्या पर हर किसी को एक न एक पेड़ ज़रूर लगाना चाहिए वहीं किसी कारणवश अगर अमावस्या पर आप वृक्ष ना भी लगा पाएं तो वे २३ जुलाई को हरियाली तीज पर भी पौधे रोप सकते हैं। 


हरियाली अमावस्या व्रत कथा 

एक राजा था। उसके एक बेटा बहू थे। बहू ने एक दिन मिठाई चुरा कर खा ली और नाम चूहे का ले लिया, यह सुनकर चूहे को गुस्सा आया, और उसने मन में विचार किया कि चोर को राजा के सामने लेकर आऊंगा। एक दिन राजा के घर में मेहमान आये थे, और वह राजा के कमरे में सोये थे, चूहे ने रानी के कपड़े ले जाकर मेहमान के पास रख दिये। सुबह उठकर सब लोग आपस में बात करने लगे कि छोटी रानी के कपड़े मेहमान के कमरे में मिले।


यह बात जब राजा ने सुनी तो उस रानी को घर से निकाल दिया। वह रोज शाम को दीया जलाती और ज्वार बोती थी। पूजा करती गुडधानी का प्रसाद बाँटती थी। एक दिन राजा शिकार करके उधर से निकले तो राजा की नजर उस रानी पर पड़ी। राजा ने घर आकर कहा कि आज तो झाड़ के नीचे चमत्कारी चीज हैं, अपने झाड़ के ऊपर जाकर देखा तो दीये आपस में बात कर रहे थे।


आज किसने क्या खाया, और कौन क्या है। उस में से एक दीया बोला आपके मेरे जान पहचान के अलावा कोई  नहीं है, आपने तो मेरी पूजा भी नहीं की और भोग भी नहीं लगाया बाकी के सब दिये बोले ऐसी क्या बात हुई तब दिया बोला मैं राजा के घर का हूँ उस राजा की एक बहू थी उसने एक बार मिठाई चोरी करके खा ली और चूहे का नाम ले लिया।


जब चूहे को गुस्सा आया तो रानी के कपड़े मेहमान के कमरे में रख दिये। राजा ने रानी को घर से निकाल दिया। वह रोज मेरी पूजा करती थी भोग लगाती थी। उसने रानी को आशीर्वाद दिया और कहा कि सुखी रहे। फिर सब लोग झाड़ पर से उतर कर घर आये और कहा कि रानी का कोई दोष नहीं था। राजा ने रानी को घर बुलाया और सुख से रहने लगे। 


हरियाली अमावस्या की पूजा विधि

महिलाओं को सुबह उठकर पूरे विधि विधान से माता पार्वती एवं भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए तथा सुहागन महिलाओं को सिंदूर सहित माता पार्वती की पूजा करना चाहिए और सुहाग सामग्री बांटना चाहिए। ऐसा मानना है कि हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी बांटने से सुहाग की आयु लंबी होती है और साथ ही घर में खुशहाली आती है। अच्छे भाग्य के उद्देश्य से लड़के भी चूड़ियां, मिठाई आदि सुहागन स्त्रियों को भेंट कर सकते हैं लेकिन यह कार्य दोपहर से पहले कर लेना चाहिए।


हरियाली अमावस्या के दिन भक्तों को पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा एवं फेरे किये जाते है तथा मालपुए का भोग बनाकर चढाये जाने की परंपरा है। धार्मिक ग्रंथों में पर्वत और पेड़-पौधों में भी ईश्वर का वास बताया गया है। पीपल में त्रिदेवों का वास माना गया है। आंवले के पेड़ में स्वयं भगवान श्री लक्ष्मीनारायण का वास माना जाता है।


इस दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं। इसके बाद शाम को भोजन ग्रहण कर व्रत तोड़ा जाता है। मान्यता है कि जो लोग श्रावण मास की अमावस्या को व्रत करते हैं, उन्हें धन और वैभव की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद ब्राह्मणों, ग़रीबों और वंचितों को यथाशक्ति दान-दक्षिणा करनी चाहिए।


सोमवती अमावस्या में तीर्थस्थान के दर्शन करना, पवित्र नदी में स्नान करना, दान और जप करना शुभ माना जाता है और ये बहुत फलदायी माना जाता है (लेकिन कोरोना काल के कारण अभी तीर्थस्थान करना संभव नहीं है, इस लिये इस बार अपने घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर, उससे स्नान करें। अमावस्या का उपवास करें एवं किसी गरीब को दान-दक्षिणा दें। अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान है। इस दिन पीपल, बरगद, केला अथवा जामुन का वृक्षारोपण जरूर करें। इस दिन अपने आसपास के वृक्ष पर बैठे कौओं को (चावल और घी मिलाकर बनाए गए) लड्डू दीजिए। अगर  संभव  हो किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को जौ  का आटे की गोलियां बना कर खिलाएं। अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं। यह पितृ दोष दूर करने का उत्तम उपाय है।


हरियाली अमावस्या का महत्व 

सावन महीने का सीधा संबंध भगवान शंकर और माता पार्वती से है। इस अमावस्या के दिन माता पार्वती के साथ भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। कुंवारी कन्याओं को विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती को लाल वस्त्र अर्पण करके उनका फल और मिष्टान से पूजन करना चाहिए।


हरियाली अमावस्या पर महिलाओ द्वारा हरे रंग के कपड़े पहने का विशेष महत्व है, इस दिन महिलाएँ झूले झूलती है, पिकनिक मनाती है, सखियों के साथ अठखेलिय करती है। विभिन्न संस्थाओं द्वारा विशेष आयोजन भी आयोजित किये जाते है, और वृक्षारोपण का कार्य भी भारी मात्रा में किया जाता है।


वर्षो पुरानी परंपरा के निर्वाहन के लिए हरियाली अमावस्या के दिन एक नये पौधे लगाना शुभ माना जाता है। यह पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण से मुक्ति के उद्देश्य से हर साल मनाई जाती है। इस दिन सवेरे किसी पवित्र जलाशय या नदी में स्नान करके नीम, आँवला, तुलसी, पीपल, वटवृक्ष और आम के पेड़ लगाने का विशेष महत्व है।


जैसा की नाम से पता चलता है, हरियाली से संबंधित इसलिए हरियाली अमावस्या मनुष्य को प्रकृति से जोड़ने का पर्व भी कहा जाता है। भक्त को अपनी राशि के अनुसार वृक्षारोपन करना चाहिए, और यदि राशि से संबंधित पौधे ना मिले तो तुलसी, आम या शमी का पेड़ भी लगाया जा सकता है। अत: इस दिन किसी वृक्ष को किसी भी प्रकार का नुकसान नही पहुँचाया जाना चाहिए।


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