अमर सिंह : एक राजनेता जिसको प्रबंधकीय क्षमता ने बेमिसाल बनाया


भारतीय राजनीति को लगभग डेढ़ दशक तक अपने व्यक्तित्व से प्रभावित करने वाले और देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करने वाले राजनेता अमर सिंह जी का सिंगापुर के एक निजी चिकित्सालय में आज निधन हो गया. अमर सिंह राजनीति में आजादी के बाद की पीढ़ी और नई पीढ़ी के मध्य सेतु की तरह से थे. एक तरफ उनमें आचार्य नरेन्द्र देव , जय प्रकाश नारायण , डा.लोहिया के राजनीति की समझ थी तो दूसरी ओर वे आधुनिक युग की चुनौतियों से पार पाने की कला में निपुण थे. अमर सिंह एक सफल राजनेता और उद्योगपति के साथ - साथ अर्थनीति - विदेश नीति , साहित्य और विभिन्न क्षेत्रों के जानकार व्यक्ति थे. वे जितनी कुशलता के साथ अंग्रेजी भाषा में वार्तालाप करते थे उतनी सहजता के साथ भोजपुरी भी बोलते थे. रामायण - महाभारत से लेकर  टैगोर - निराला - पंत की कविताओं  पर वे साधिकार बोलते थे , जिसकी जानकारी कम लोगों को है. फिल्म जगत को लेकर तो उनके पास जानकारियों का खजाना था. राजनीति में सौजन्यता और संवाद स्थापित करने वाली कार्यशैली ने उनको अजेय बना दिया. धार्मिक व जातीय सांप्रदायिकता से दूर रहने वाले अमर सिंह वर्तमान में उच्च सदन ' राज्य सभा ' के सदस्य थे. पिछले 03 -04 वर्षो से उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली की कई बार प्रशंसा किया था. इसी साल के मार्च महीने में उन्होंने टिवटर पर एक छोटा सा वीडियो पोस्ट करके लोगों से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सहयोग करने की अपील की थी.    


27 जनवरी 1956 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में जन्में अमर सिंह का पैतृक निवास आजमगढ़ जिले में था. उन्होंने कोलकोता के सेंट जेवियर्स कालेज से एलएलबी की शिक्षा प्राप्त किया और इस दौरान सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया व  कांग्रेस पार्टी के युवा प्रकोष्ठ से जुड़ गए . उन्होंने कोलकोता में रहते हुए ही बिड़ला परिवार की नजदीकी हासिल किया. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की क्षत्रछाया में अमर सिंह कांग्रेस  पार्टी की राजनीति में सक्रिय हुए और पूर्व केन्द्रीय मंत्री माधवराव  सिंधिया के सहयोग से वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मध्य प्रदेश इकाई से सदस्य बने. उनके राजनीतिक जीवन में अहम मोड़ तब आया जब 1996 में वे समाजवादी पार्टी से राज्य सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. 2003 में उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार बनवाने मेँ उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. उनके कौशल का ही प्रभाव था कि 2004 के लोकसभा चुनाव मेँ समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश राज्य  राज्य में एतिहासिक जीत मिली. केन्द्र में डा. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए 01की  सरकार जब अल्पमत में आई तो अमर सिंह की रणनीति से उसे जीवनदान मिला.


अमर सिंह ने जितनी तेजी से राजनीतिक उन्नति हासिल किया उतनी तेजी से उनसे शत्रु भाव रखने वालों की संख्या भी बढ़ी. समाजवादी पार्टी में ही उनके खिलाफ षडयंत्र  रचा जाता रहता था जिसके नाते  उन्होंने जनवरी 2010 में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वे पूर्वाचंल के हक - हकूक के साथ - साथ अन्य दूसरे मुद्दों पर सक्रिय हो गए. अमर सिंह ने एक नए राजनीतिक दल ' राष्ट्रीय लोकमंच ' का गठन भी किया और 2012 में उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में भागीदारी किया लेकिन उनके द्वारा बनाए गए दल को पराजय का सामना करना पड़ा. इसके बाद उनकी राजनीतिक सक्रियता बैठक , सेमिनार और मीडिया तक सीमित होकर रह गई . वे किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. राजनीति - उद्योग जगत के अलावा उनका  फिल्म जगत से बेहद नजदीकी रिश्ता था. फिल्मी दुनियां के महानायक माने जाने वाले अमिताभ बच्चन से उनके बेहद पारिवारिक संबंध थे जिसमें उतार - चढ़ाव आता रहता था. अब जबकि अमर सिंह हमारे बीच नहीं रहे तब राजनीति में उनकी सौजन्यता - आत्मीयता और लोगों से संवाद के जरिये संबंध बनाने वाली कार्यशैली के लिए उनको  लंबे समय तक याद किया जायेगा .


* स्मृति शेष अमर सिंह के राजनीतिक सहयोगी रहे नैमिष प्रताप सिंह से जितेन्द्र झा से हुई बातचीत पर आधारित *


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