अन्याय का विरोध करना ही होगा, चाहे सामने कोई अपना हो अथवा कोई साधन संपन्न
अन्याय, अत्याचार और अनीति से लड़ना भगवान श्री कृष्ण के जीवन से सीखें। आदमी सबका विरोध करता है मगर दो जगहों पर यह विरोध का सामर्थ्य खो बैठता है। पहला जब विरोध अपनों का करना पड़े और दूसरा जब विरोध किसी सामर्थ्यवान, शक्तिवान का करना पड़े।
श्री कृष्ण का जीवन तो देखिये। उन्होंने अनीति के खिलाफ सबसे अधिक अपनों का और सर्व सामर्थ्यवानों का ही विरोध किया। सात वर्ष की आयु में इन्द्र को ही चुनौती दे डाली और उसके व्यर्थाभिमान का नाश किया।
अपने ही कुल के लोग जब कुमार्ग पर चलने लगे तो बिना किसी संकोच व मोह के उनका परित्याग कर दिया। अत: अन्याय, अत्याचार और अनीति का विरोध ही श्री कृष्ण की सच्चा अनुसरण होगा। अन्याय का विरोध करना ही होगा, चाहे सामने कोई अपना हो अथवा कोई साधन संपन्न ही क्यों न हो।