औरों को सुख ही सुख हमें इतना दुःख


आज का आदमी ईश्वर पर भी आरोप लगाने से नहीं चूकता है। जिस ईश्वर ने इसे बुद्धि प्रदान की है उसी बुद्धि के बल पर यह ईश्वर को ही झुठलाना चाहता है। 


बहुधा लोगों के मुख से यह बात सुनी जाती है कि भगवान भी भेदभाव करते हैं। दूसरों को इतना दिया, हमें कुछ भी नहीं दिया। औरों को सुख ही सुख हमें इतना दुःख दिया। 


भगवान कहते हैं कि मै सबमें समभाव रखता हूँ मगर इसके बावजूद अच्छे आचरण वाला, सदैव धर्म-सत्कर्म में रत रहने वाला, मेरे संतों-वैष्णवों की सेवा करने वाला और मुझसे प्रेम करने वाला जीव मेरा प्रिय तो बन ही जाता है।


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