भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय मन्त्री शफ़ाअत हुसैन ने राज्यपाल को पत्र लिख कर असंवैधानिक रूप से हो रही नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की
लखनऊ। राजधानी लखनऊ के ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय मे विभिन्न विषयों के शैक्षिक पदों पर मनमाने ढ़ंग से की जा रही नियुक्ति प्रक्रिया मे भारी गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय मन्त्री शफ़ाअत हुसैन ने कहा कि कुलपति प्रो० माहरूख मिर्जा और विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत से विश्वविद्यालय मे विभिन्न विषयों के शैक्षिक पदों पर ह़ो रही नियुक्तियों मे भारी गड़बड़ी के साथ नियमो की अवहेलना भी की जा रही है।
राष्ट्रीय मन्त्री शफ़ाअत हुसैन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ एवं राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल को पत्र लिख कर असंवैधानिक रूप से हो रही इन नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होने अपने पत्र मे कहा है कि चयन हेतु विश्वविद्यालय द्वारा अपनायी गयी आरक्षण प्रणाली दोषपूर्ण है और उसमे राज्य सरकार के आरक्षण समबन्धी शासनादेश का खुला उल्लंघन किया गया है।
उन्होने सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस प्रक्रिया मे आरक्षण लागू किये जाने हेतु समस्त विषयों के विभागों का व्यवस्थिकरण उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश में सुझाए गए हिन्दी वर्णमाला के क्रम के अनुसार नही किया गया है। प्रारम्भ के पांच विभागों आरक्षण का व्यवस्थिकरण उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश के अनुसार नहीं है। जिससे पूरी चयन प्रणाली प्रभावित हो रही है। इस व्यवस्था क्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही व अनभिज्ञता कम और भ्रष्टाचार की मंशा स्पष्ट दिखाई देती है।
शफ़ाअत हुसैन ने इस चयन प्रक्रिया को असंवैधानिक और विधि विरूद्ध बताते हुए यह भी आरोप लगाया कि कुलपति द्वारा जल्दबाज़ी और आनन-फानन में की जा रही नियुक्तियों के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि वर्तमान कुलपति का कार्यकाल अक्टूबर माह में समाप्त हो रहा है ऐसे मे 04 अगस्त, 2020 से चल रहे चयन हेतु इस साक्षात्कार मे अपने चहेते अभ्यर्थियों को खुले आम लाभ पहुंचाया जा रहा है।
विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति की मिलीभगत से कुलपति योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार करते हुए पहले से ही तय अपने चहेते उम्मीदवारों की भर्ती कर धनउगाही कर रहे हैं।
उन्होंने प्रदेश के मुख्यमन्त्री व राज्यपाल से मामले की गंभीरता का संज्ञान लेते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने तथा दोषी उत्तरदायी अधिकारियों उचित दण्डात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करने की अपेक्षा की है।