बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने प्रदेश भर में किया विरोध प्रदर्शन


लखनऊ। इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आज  उप्र के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों , जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने राजधानी लखनऊ सहित सभी जनपद व् परियोजना मुख्यालयों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया | नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स के आह्वान पर आज देश भर में 15 लाख बिजली कर्मचारियों  एवं इंजीनियरों ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं  उप्र, केंद्र शासित प्रदेशों व् उड़ीसा में निजीकरण के विरोध में  विरोध प्रदर्शन एवं सभाएं की  |  


विद्युत् कर्मचारी सँयुक्त संघर्ष समिति , उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों  शैलेन्द्र दुबे, प्रभात सिंह, जी वी पटेल,जय प्रकाश , गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, सुहेल आबिद, राजेन्द्र घिल्डियाल, विनय शुक्ल, डी के मिश्र, महेंद्र राय, वी सी उपाध्याय, शशिकांत श्रीवास्तव, विपिन वर्मा, मो0 इलियास, परशुराम, भगवान मिश्र, पूसे लाल, सुनील प्रकाश पाल, शम्भू रत्न दीक्षित, ए के श्रीवास्तव, पी एस बाजपेई, वी के सिंह कलहंस, जी पी सिंहने कहा कि यदि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को संसद में पारित कराने और पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के निजीकरण की एकतरफा  कोशिश हुई तो सीधी कार्यवाही की जाएगी जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र व् राज्य  सरकार की होगी |  


उन्होंने बताया इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे पर केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा विगत 3 जुलाई को राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में 11 प्रांतों और 2 केंद्र शासित प्रांतो  ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के निजीकरण के मसौदे का जमकर विरोध किया था |  परिणाम स्वरूप 3 जुलाई की मीटिंग में केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने यह घोषणा की थी कि राज्य सरकारों के विरोध को देखते हुए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे में संशोधन किया जाएगा|अत्यंत खेद  का विषय है राज्य के ऊर्जा  मंत्रियों की बैठक के डेढ़ माह बाद भी इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020  के संशोधित प्रारूप को विद्युत मंत्रालय ने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है और केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव डालकर निजीकरण का एजेंडा आगे बढ़ा रही है जिससे बिजली कर्मियों में भारी  रोष व्याप्त है| यह भी पता चला है की केंद्र सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 को पारित कराने की तैयारी कर रही है | 


उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम  के निजी करण के प्रस्ताव से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है |   केंद्र सरकार के दबाव में चल रहे निजी करण के क्रियाकलापों से बिजली कर्मियों और अभियंताओं में आक्रोश  व्याप्त है | उन्होंने कहा कि निजीकरण का प्रयोग उप्र में आगरा और ग्रेटर नोएडा में पहले ही बुरी तरह विफल हो चुका है | इतना ही नहीं तो  निजीकरण के  प्रयोग उड़ीसा, दिल्ली, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव,  उज्जैन, ग्वालियर, सागर, भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर आदि कई स्थानों पर पूरी तरह से विफल साबित हुए है | इसके बावजूद इन्हीं विफल प्रयोगों को वित्तीय मदद देने के नाम पर थोपा जा रहा है जिसका प्रबल विरोध किया जाएगा | संघर्ष समिति ने मांग की कि ग्रेटर नोएडा का निजीकरण और आगरा का फ्रेंचाइजी करार घोटालों और करार की शर्तों के उल्लंघन के चलते तत्काल रद्द किये जाए | 


उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में सब्सिडी व् क्रास सब्सिडी समाप्त करने का प्राविधान है और स्पष्ट लिखा है कि लागत से कम मूल्य पर किसी श्रेणी के उपभोक्ता को बिजली नही दी जाएगी | इसका अर्थ यह है कि किसानो व् गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं को 10 रु प्रति यूनिट से कम में बिजली नहीं मिलेगी | इस प्रकार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 निजी  घरानों के मुनाफे के लिए है और आम उपभोक्ता विरोधी है | 


संघर्ष समिति  ने आज के सफल विरोध प्रदर्शन के बाद एलान किया  कि  निजीकरण के इस मसौदे को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा और आज  के विरोध प्रदर्शन के बाद भी यदि केंद्र और राज्य सरकारों ने  निजीकरण के प्रस्ताव व् कार्यवाही निरस्त न की और  इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 संसद में पारित कराने की एकतरफा कोशिश की तो  तमाम  बिजली कर्मी सीधी कार्यवाही सहित व्यापक  आंदोलन प्रारम्भ करने हेतु बाध्य होंगे  जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों  की होगी| 


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