दो दिन मनाई जा रही अनंत चतुर्दशी, जानिए गणेश विसर्जन का मुहूर्त:


भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की चतुर्दशी ०१-सितंबर,२०२० को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। इस बार चतुर्दशी तिथि 31 अगस्त को सुबह 8 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होकर 1 सितंबर को सुबह 9 बजकर 38 मिनट तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य गौरव उपाध्याय के अनुसार अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। अनंत रेशम या कपास से बना हुआ धागा होता है, जिसे रक्षासूत्र भी कहा जाता है। पुरुष अनंत को दाएं एवं महिलाएं अनंत को बाएं हाथ में बांधती है। इस दिन खीर का भोग लगाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। प्रातः 5 बजकर 59 मिनट से लेकर 9 बजकर 40 मिनट तक पूजा का मुहूर्त रहेगा। इस दिन गणेशजी का विसर्जन भी किया जाता है। इसके साथ ही गणेश उत्सव का समापन हो जाता है।


यह है अनंत चतुर्दशी की कथा:- पुराणों व शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत राजा हरिशचंद्र ने किया था। जिसके बाद उन्हें राजपाठ वापस मिला था। इसी प्रकार महाभारत काल में पांडव भी जब अपना सारा राजपाठ हार गए थे तब भगवान कृष्ण ने अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह पांडवों को दी थी। धर्मराज युधिष्ठर ने द्रोपदी व अपने भाइयों के साथ अनंत सूत्र को धारण किया था। जिससे उन्हें बाद में सारे कष्टों से मुक्ति मिली थी। अनंत को धारण करने से पहले उसकी पूजा आराधना की जाती है। सुबह भक्त स्नान आदि करने के बाद कलश की स्थापना करते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति को रखकर उनके सामने अनंत को रखें। इसमें 14 गांठे लगाए। पूजा में रोली, धूप, दीप, नैवेध, भगवान को अर्पित करें।


अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का मुहूर्त:- अनंत चतुर्दशी वाले दिन भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है। मान्यता है कि 10 दिन भक्तों के घरों में विराजने के बाद गणेशजी अपने घर वापस लौट जाते हैं। अनंत चतुर्दशी वाले दिन सुबह 9 बजकर 22 मिनट से दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक चर, लाभ, अमृत की चौघड़िया, दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से 4 बजकर 52 मिनट तक शुभ की चौघड़िया, शाम 7 बजकर 52 मिनट से रात्रि 9 बजकर 22 मिनट तक लाभ की चौघड़िया, रात्रि 10 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 12 मिनट तक शुभ की चौघड़िया में विसर्जन करना उत्तम रहेगा। अनन्त-चतुर्दसी,२०२०


भगवान विष्णु के अनंत रूप की जाती है पूजा, जानें अनंत सूत्र में 14 गांठों का रहस्य:- : 01-सितंबर,2020 को अनंत चतुर्दशी का पर्व है. पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी पर्व के बारे में. अनंत चतुर्दशी के पर्व पर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. इस समय चातुर्मास चल रहे हैं. चातुर्मास में भगवान विष्णु की पूजा विशेष महत्व रखती है!


अनंत सूत्र का महत्व:- अनंत चतुर्दशी पर अनंत सूत्र बांधने की परंपरा है. अनंत सूत्र को लेकर ये मान्यता है कि इस सूत्र में भगवान विष्णु का वास होता है. अनंत चतुर्दशी पर अनंत सूत्र को भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद इसे बांह में बांधा जाता है. अनंत सूत्र को पहने से पहले ये जान लेना चाहिए कि अनंत सूत्र में 14 गांठें होनी चाहिए. क्योंकि 14 गांठों को 14 लोकों से जोड़कर देखा जाता है. मान्यता है कि भौतिक जगत में 14 लोक बनाए जिनमें भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक शामिल है. अनंत सूत्र में लगने वाली प्रत्येक गांठ एक लोक का प्रतिनिधित्व करती है!


अनंत सूत्र बांधने का नियम:- अनंत चतुर्दशी पर अनंत सूत्र को बांधने का विशेष नियम भी है. इसलिए इस नियम का सदैव ध्यान रखना चाहिए. मान्यता है कि अनंत सूत्र को पुरुष दाहिने और महिलाओं को अपने बाएं हाथ में इसे बांधना चाहिए. इस दिन व्रत रखने का भी विधान है. इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है!


अनंत चतुर्दशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त:- पंचांग के अनुसार 1 सितंबर को चतुर्दशी तिथि पर प्रात:काल स्नान करने के बाद पूजा का आरंभ करें. भगवान विष्णु की प्रिय चीजों का भोग लगाएं. भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत प्रिय है. इसलिए पूजा में पीले रंग की चीजों का प्रयोग करें. पंचांग के अनुसार 1 सितंबर की सुबह 5 बजकर 59 से 09 बजकर 41 मिनट तक अनंत चतुर्दशी की पूजा का मुहूर्त है. पूजा के बाद अनंत सूत्र को बांधें!


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