जेईई-नीट परीक्षा को स्थगित कराने के पीछे विपक्ष की मंशा ?
जेईई - नीट परीक्षा सरकार कराना चाहती है लेकिन विपक्ष परीक्षा को स्थगित कराने की मांग करते हुए रोज तोड़-फोड़ मचाये हुए हैं। इसके पीछे का कारण कोरोना है या कुछ और ?
देश में कोरोना लगातार फैलता ही जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनो में यह और फैलेगा। कोरोना के बढ़ते प्रसार के बीच अनलॉक 4 भी कल यानि 1 सितम्बर से लागू हो जायेगा और सितम्बर में ही जेईई - नीट की परीक्षा होनी है। जिसमे लगभग 25 लाख परीक्षार्थीयों के हिस्सा लेने की उम्मीद है। ये 25 लाख परीक्षार्थी किसी ना किसी के बच्चे हैं और इन बच्चों की सेहत को लेकर विपक्ष परेशान जैसा की विपक्ष कह रहा है।
25 लाख परीक्षार्थी हैं ये 25 लाख कहीं ना कही किसी ना किसी कोचिंग सेंटर में पढ़े हैं या पढ़ रहे हैं। 1 लाख रूपये से कम किसी भी कोचिंग सेंटर का सालाना फीस नहीं होगा। कोरोना के कारन बंद पड़े कोचिंग सेंटर ने किसी भी बच्चे का फीस माफ़ या आधा नहीं किया होगा। यानि 25 लाख परीक्षार्थी के माता पिता 6 महीने की पढाई के लिए साल भर का फीस भर चुके हैं। ऐसे में अगर परीक्षा नहीं होता है तो फिर इन अभिभावकों को 1 लाख रुपया प्रति बच्चा फीस जमा करना होगा साथ ही ऐसे कई परीक्षार्थी होंगे जिनकी उम्र अगले वर्ष के लिए जवाब दे चुकी होगी। ऐसे में परीक्षा होना आवश्यक है या ना होना आवश्यक है ?
अब विपक्ष ये तर्क दे की पैसा नहीं बच्चा बड़ा है तो विपक्ष को चाहिए कि सभी 25 लाख बच्चों की फीस वो अपनी तरफ से जमा करा दे। कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों से ज्यादा किसी से प्यार नहीं करता। सरकार अगर सही व्यवस्था करे जैसे सेनिटाइज आदि जो कोरोना से सुरक्षा के जरुरी है तो परीक्षा देने में क्या हर्ज है। अगर फिर भी विपक्ष कहता है कि परीक्षा ना हो तो उसे तोड़-फोड़ मचाने या पुलिस की लाठी खाने की क्या आवश्यकता है वो घर बैठे एलान कर दे बच्चों की साल भर की फीस हम देंगे।
इस देश के अंदर जितने विपक्षी दल हैं जो चाहते हैं कि जेईई - नीट की परीक्षा स्थगित हो तो वो सरकार से कहे बच्चों की साल भर की फीस हम जमा कर रहें हैं आप परीक्षा स्थगित करिये। मुझे पता है विपक्ष ऐसा नहीं करेगा क्योंकि वो सिर्फ अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए डंडे खा रहा है ना कि जनहित में। विपक्ष अगर जनहित की बात करता तो कोरोना काल में ऑनलाइन पढाई के नाम पर शिक्षण संस्थानो के द्वारा जो अवैध वसूली की जा रही है उसके लिए सड़क पर उतरता / उसके लिए लाठी खाता।
(जितेन्द्र झा)