पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप

लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आवाहन पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में 01 सितंबर से बिजली कर्मचारियों/संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं का ध्यानाकर्षण आंदोलन प्रारंभ हो रहा है। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे, वी0पी0 सिंह, प्रभात सिंह, जी वी पटेल, जय प्रकाश, गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, सुहेल आबिद, राजेन्द्र घिल्डियाल, विनय शुक्ल, डी के मिश्र, महेंद्र राय, वी सी उपाध्याय, शशिकांत श्रीवास्तव, विपिन वर्मा, मो0 इलियास, सुनील प्रकाश पाल, परशुराम, भगवान मिश्र, पूसे लाल, शम्भू रत्न दीक्षित, ए के श्रीवास्तव, पी एस बाजपेई, वी के सिंह कलहंस, जी पी सिंह ने आज पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाने और ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति पैदा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि शांतिपूर्ण ध्यानाकर्षण कार्यक्रम को कुचलने हेतु पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति को भेजे गए पत्र में धमकी भरी भाषा में यह बताया है कि विरोध प्रदर्शन करने पर आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत 1 साल की जेल, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत 1 साल की जेल जिसे 2 साल और बढ़ाया जा सकता है तथा पैंडेमिक एक्ट के तहत जुर्माना जैसा दंड दिया जाएगा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान बिजली कर्मियों ने दिन रात परिश्रम कर जिस कुशलता से बिजली आपूर्ति बनाए रखी है उसकी सार्वजनिक तौर पर प्रशंसा माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने और माननीय ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा जी कई बार की है। प्रबंधन अपनी अक्षमता और विफलता छिपाने के लिए निजीकरण थोप रहा है और मुख्यमंत्री व सरकार को गुमराह कर रहा है। बिजली कर्मी जनता की कठिनाइयों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है और इसीलिए ध्यानाकर्षण कार्यक्रम के दौरान बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बनाई रखी जाएगी। ध्यानाकर्षण कार्यक्रम माननीय मुख्यमंत्री जी व उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान आकर्षण करने हेतु एक सांकेतिक कार्यक्रम है किंतु पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति से बात करने के बजाय जिस प्रकार धमकी भरा पत्र भेजा है वह अलोकतांत्रिक तो है ही प्रबंधन की तानाशाही पूर्ण मानसिकता का परिचायक भी है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि विरोध प्रदर्शन के कारण प्रदेश में कहीं भी किसी भी कर्मचारी पर कोई दंडात्मक कार्यवाही की गई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी जिस से उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति की सारी जिम्मेदारी और कार्पोरेशन प्रबंधन और चेयरमैन की होगी।


उन्होंने बताया कि ध्यानाकर्षण आंदोलन के प्रथम चरण में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत सभी जनपदों में 01 सितंबर से (02 सितंबर को छोड़कर) प्रत्येक कार्य दिवस में अपराहन 4ः00 बजे से 5ः00 बजे तक विरोध सभाएं कर बिजलीकर्मी निजीकरण वापस लेने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यानाकर्षण करेंगे। पहले दिन 01 सितंबर को वाराणसी में होने वाली सभा में संघर्ष समिति के सभी घटक श्रम संघों व सेवा संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे। संघर्ष समिति के पदाधिकारी 9 सितंबर तक पूर्वांचल के सभी मंडलों में दौरा कर सभा एवं प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।


उन्होंने बताया कि 10 सितंबर को लखनऊ में संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी अगले कार्यक्रमों का ऐलान करेंगे।


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