6 साल में पहली बार बैकफुट पर मोदी सरकार


अपने लगभग साढ़े 6 साल के कार्यकाल में पहली बार मोदी सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। कारण "अविश्ववास"। राजनीति हो या आम जीवन इसमें "विश्वास" का होना बड़ा महत्त्व रखता है। 2014 में सत्तासीन हुई मोदी सरकार ने कई बड़े और कड़े फैसले लिए ,सभी फैसलों ने उनकी लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ाया है।


मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में वर्ष 2016 में नोटबंदी का फैसला किया और 8 नवंबर को शाम 8 बजे टीवी पर अचानक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आये और नोटबंदी का फैसला लिया। मोदी सरकार का यह पहला ऐसा फैसला था जिससे भारत की 130 करोड़ की जनसँख्या प्रभावित हुई। सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गँवाई लेकिन मोदी सरकार पर विश्वास बना रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा नोटबंदी से अमीर और गरीब सब बराबर हो जायेंगे लेकिन नतीजा उल्टा आया गरीब और गरीब हो गए लेकिन अमीरों का कुछ नहीं बिगड़ा,उसी नोटबंदी से बेरोजगारी ने भी अपना रफ़्तार पकड़ना शुरू कर दिया। उसके बाद उनका दुसरा सबसे बड़ा फैसला था "जीएसटी" का जो 130 करोड़ भारतीय को प्रभावित करने वाला था। पूर्वर्ती कांग्रेस सरकार भी देश में "जीएसटी" लागू करना चाहती थी लेकिन विवादों की वजह से नहीं कर पायी। "जीएसटी" में भी कहा गया कि सामान सस्ते होंगे और एक ही रेट पर पुरे देश में मिलेंगे लेकिन यह भी अभी तक कारगर साबित नहीं हुआ। इसके बाद भी जनता "मोदी - मोदी " का ही नारा लगा रही थी जिसका नतीजा वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में देखने को मिला,भाजपा 303 सीटें जीती।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अभी तक के कार्यकाल में जनधन योजना,उज्ज्वला योजना,स्वच्छता अभियान आदि कई कल्याणकारी योजनाएं लाये तो कुछ कड़े फैसले भी किये जैसे पकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक,एयर स्ट्राइक ,धारा 370,ट्रिपल तलाक,नागरिकता संशोधन बिल,राम मंदिर का फैसला आदि फैसले ने जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ग्राफ बढ़ाया वहीँ विपक्षियों का ग्राफ इतना गिरा दिया कि उसे सँभलने में अभी कई वर्ष लगेंगे।  


वर्तमान में विश्व कोरोना का दंश झेल रहा है,इस कोरोना में भी भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र की लोकप्रियता को बढ़ाने का काम किया। उनके एक आह्वान पर लोगों ने दिए जलाये,तालियाँ थालियां पीटी।कोरोना के कारण कई प्रवासियों ने अपनी जाने गंवाई फिर भी मोदी सरकार का विरोध नहीं हुआ। मोदी सरकार ने भी खजाने खोले सभी कार्डधारियों को आने वाले नवंबर माह तक अनाज मुफ्त देने का एलान किया साथ ही उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को गैस मुफ्त दिया जा रहा है,नगद पैसे भी गरीबों को दिए। कॉर्पोरटे देश की आवश्यकता है उसे सँभालने के लिए 20 लाख करोड़ का लोन मेला दिया। देश को कोरोना के कारण आई आर्थिक त्रासदी से उबारने के लिए जब सरकार ने सरकारी उपकर्मों की बोली लगानी शुरू की और बेरोजगारी की बाढ़ आयी तब थोड़ा सा ग्राफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गिरा। आम जनता का कहना है कि जिस देश को पूंजीपतियों ने 200 वर्षों तक गुलाम रखा उस देश को फिर से पूंजीपतियों के हवाले करना यह कैसा विकास है। खैर भाजपा की नीति ही है कि देश के सरकारी कर्मचारी काम नहीं करते इसलिए उसे बेचकर पूंजीपतियों के हवाले कर दिया जाय।


उपरोक्त फैसलों के बाद भी मोदी सरकार कभी बैकफुट पर नज़र नहीं आई क्योंकि मोदी में लोगों का अटूट विश्वास था। जब मोदी सरकार कृषि से सम्बंधित 3 बिल लेकर आयी है तब से मोदी सरकार की लोकप्रियता घटनी शुरू हुई है। सरकार के अनुसार कृषि बिल किसानों की आय दुगुना करने में मदद करेगी। इसके लिए बड़े - बड़े अख़बारों में टीवी चैनलों में विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 27 सितम्बर को मन की बात में भी किसानो को समझाने की कोशिश कर चुके हैं। सरकार के कई मंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं ,सामाजिक व्यक्तियों व बुद्धिजीवियों ने अखबारों में ,टेलीविजन के चैनलों आदि के माध्यमों से अपने आलेख में किसानो को समझा चुके हैं फिर भी किसान मानने को तैयार नहीं हैं क्यों ?


कृषि विधेयक बिल मोदी सरकार के कार्यकाल का वो बिल है जिससे देश की 130 करोड़ जनता प्रभावित होगी। कोरोना काल ने हम सभी को सीखा दिया कि भोजन जरुरी है बाँकी चीजें बाद में भी ले सकते हैं। कोरोना काल के लगभग 7 माह में लोग बिना सिनेमा देखे भी जीवित हैं,नाई के पास नहीं गए तो भी कोई बात नहीं,जूते-चप्पल,कपड़ा आदि आप जितने भी सोच सकें किसी के पीछे लोग नहीं भागे सिर्फ अनाज के लिए ही भागे अब उस अनाज पर निजी कंपनियों का कब्ज़ा होगा,क्योंकि किसान से अनाज वही खरीदेगा जिसके पास पैसा हो और  अनाज को संभाल कर रखने की प्रयाप्त व्यवस्था हो। फिर भी किसान इससे चिंतित नहीं हैं ,किसानो की असल चिंता है MSP यानि मिनिमम सपोर्ट प्राइस,यह वो प्राइस है जो सरकार तय करती है और उसी रेट पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है। कृषि विधेयक बिल में MSP का जिक्र नहीं किया गया है जबकि सरकार किसानों को यह विश्वास दिलाने में लगी है कि हम MSP जारी रखेंगे,लेकिन जो बात कानून में नहीं लिखी है उसको लेकर अगर भविष्य में कोर्ट जाना पड़ा तो क्या कोर्ट इस बात को मान लेगा ? इसी अविश्वास के कारण मोदी सरकार का ग्राफ गिरा है। सरकार के प्रति जनता में अगर अविश्वास पैदा हुआ है तो सरकार को चाहिए की उसका खंडन करे और लोगों को फिर से विश्वास की डोर से बांधे। मोदी सरकार ने ही किसानो को किसान सम्मान निधि देकर उसका हौसला बढ़ाया था अब मोदी सरकार की ही जिम्मेदारी है कि किसानों का भ्रम दूर करे। 


(जितेन्द्र झा)


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