बारिश और बाढ़ की स्थिति की संक्षिप्त जानकारी
गुजरात और पश्चिमी राजस्थान में कुछ स्थानों पर अत्यंत भारी बारिश के साथ अतिवृष्टि जबकि कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश हुई है। 19 केंद्रों (बिहार में 7, उत्तर प्रदेश में 3, गुजरात और महाराष्ट्र में 2-2 और असम, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 1-1) में बाढ़ की गंभीर स्थिति जैसा तेज प्रवाह है और 30 केंद्रों (बिहार में 14, उत्तर प्रदेश में 7, असम में 5, ओडिशा में 2 और गुजरात और राजस्थान में 1-1) में सामान्य बाढ़ की स्थिति में प्रवाह हो रहा है।
24 बैराजों और बांधों (मध्य प्रदेश में 6, उत्तर प्रदेश में 3, आंध्र प्रदेश, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में 2-2 ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना में 1-1) के लिए प्रवाह पूर्वानुमान जारी किया गया है। विस्तृत विवरण को http://cwc.gov.in/sites/default/files/cfcr-cwcdfb31082020_5.pdf इस लिंक पर देखा जा सकता है।
पश्चिमी राजस्थान और कच्छ में अलग-अलग जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। इसके बाद इसमें बहुत हद तक कमी आने की संभावना है। 02 और 03 सितंबर, 2020 के दौरान, उत्तर-पश्चिम भारत और पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है। प्रायद्वीपीय भारत में 01 सितंबर से वर्षा की तीव्रता में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। दक्षिण तटवर्ती कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में 02 और 03 सितंबर, 2020 को अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।
ओडिशा के अंगुल जिले में ब्राह्मणी नदी पर रेंगाली बांध लगातार अपने एफआरएल से ऊपर बह रही है। अगले चार दिनों के दौरान, ओडिशा के केंदुझार जिले में भारी बारिश (65.5 से 115.5 मिमी) होने की संभावना है। जलाशय क्षेत्र में इतनी भारी बारिश के कारण अंतर्वाह में अचानक बढ़ोत्तरी पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता होगी।
बारिश में उल्लेखनीय कमी होने के कारण, महाराष्ट्र के भंडारा जिले में वैनगंगा नदी का जल स्तर गिरने लगा है, लेकिन बाढ़ की गंभीर स्थिति वाला प्रवाह जारी है। भंडारा जिले में वैनगंगा नदी पर गोसीखुर्द परियोजना में अंतर्वाह कम हो रही है। गोसीखुर्द परियोजना से अतिरिक्त प्रवाह जारी किया गया है जिसके कारण महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में वैनगंगा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। वर्धा नदी भी वैनगंगा नदी के प्रवाह में योगदान दे रही है और संयुक्त प्रवाह, तेलंगाना के जयशंकर भूपलपल्ली जिले में गोदावरी नदी पर लक्ष्मी बैराज में प्रवाह को बढ़ा रहा है।
बारिश में उल्लेखनीय कमी होने के कारण, नर्मदा नदी अपने ऊपरी निशान से गिरने लगी है। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में बाढ़ की गंभीर स्थिति लगातार जारी है। इंदिरासागर, ओंकारेश्वर और सरदार सरोवर बांध में अभी भी भारी अंतर्वाह जारी है। सरदार सरोवर बांध की ओर से छोड़े गए पानी ने नर्मदा जिले के गरुड़ेश्वर और गुजरात के भरूच जिले के भरूच में बाढ़ की गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है।
बारिश में कमी होने के कारण, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में महानदी और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर में तेजी से गिरावट आने की संभावना है। हालांकि, संबलपुर, भद्रक, जाजापुर, कटक, अंगुल, मयूरभंज, ओडिशा के केंदुझार और छत्तीसगढ़ के रायपुर व चांपा में पैनी नजर रखी जा रही है।
चंबल नदी और उसकी सहायक नदियां मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में गांधीसागर, चित्तौड़गढ़ जिले में राणा प्रतापसागर और राजस्थान के झालावाड़ जिले में कालीसिंध बांध जैसे जलाशय प्रणालियों में धीमी गति से प्रवाह कर रही है। इन बांधों से छोड़े गए पानी के कारण राजस्थान के धौलपुर जिले के धौलपुर में चंबल नदी तेजी से बढ़ रही है और इसके खतरे के निशान से ऊपर बढ़ने की उम्मीद है।
दक्षिण तटवर्ती कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में अगले तीन दिनों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की भविष्यवाणी की गई है, ऊपरी कावेरी बेसिन में जलाशयों में प्रवाह में वृद्धि होने की संभावना है। चूंकि अधिकांश बांधों में 90 प्रतिशत से ज्यादा भंडारण हो चुका है, इसलिए जलाशय क्षेत्र में इतनी भारी वर्षा के कारण अंतर्वाह में अचानक बढ़ोत्तरी पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता होगी।
उपर्युक्त सभी राज्यों और जिलों में अगले 3-4 दिनों तक सख्त चौकसी बरती जानी है। यह सलाह दी जाती है कि बांधों में बढ़े हुए जल प्रवाह के लिए निरंतर पैनी निगरानी रखी जाए। इनमें से किसी भी जलाशय से पानी को संबंधित नियम और मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार छोड़ा जा सकता है। हालांकि, ऐसा करने से पहले तेज जल बहाव वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को अग्रिम तौर पर सूचना देना आवश्यक है।
रेल की पटरियों एवं सड़कों के आसपास और इन नदियों पर बने पुलों पर अधिकतम सतर्कता रखनी होगी। इसके साथ ही किसी भी घटना से बचने के लिए यातायात का नियमन सही ढंग से करना होगा। नदियों के आसपास स्थित निम्न-स्तरीय मार्गों के जलमग्न होने और अत्यंत तेज जल प्रवाह वाली नदियों के आसपास स्थित रेल पटरियों पर कड़ी निगरानी रखी जानी है। सभी जिला प्रशासन कोविड-19 की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रभावकारी उपाय कर सकते हैं। इन जिलों में राहत शिविर लगाए जा रहे हैं।