चीन के मुकाबले उत्तर प्रदेश की मूर्तियां होंगी गुणवत्तायुक्त - सिद्धार्थ नाथ सिंह


लखनऊ। उत्तर प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि आने वाले दीपावली पर्व पर स्थानीय कारीगरों द्वारा निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां एवं दीये बाजार की रौनक होंगे। प्रदेश में हस्तनिर्मित मूर्तियों की लागत अधिक होने से चीन की मूर्तियां बाजार में ज्यादा बिकती रही है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देश पर प्रदेश में आकर्षक, गुणवत्तायुक्त एवं कम लागत की मूर्तियां एवं दीये बनाने की कार्ययोजना तैयार कराई गई और इसके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु अनुश्रवण समिति का गठन भी किया गया है।  


श्री सिंह ने बताया कि चीन की मूर्तियां अधिक आकर्षक एवं गुणवत्ता किस प्रकार बन रही है, इस संदर्भ में कारीगरों के विचार, उनकी समस्याओं, सुझाव तथा फाईन आर्ट्स के विशेषज्ञों के माध्यम से उसके समाधान भी समिति द्वारा तलाश किये गये। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जिन मूर्तियों का निर्माण हो रहा है, उनकी निर्माण तकनीक एवं निर्माण सामग्री में भिन्नता एक मुख्य कारण है, जबकि विदेशों में जो मूर्तियां बन रही हैं, वह मिट्टी की नहीं होती तथा साचें में ढालकर आटोमेटिक मशीनों के माध्यम से बनाई जाती हैं, जिससे उनकी लागत कम आती है। उन्होंने बताया कि दीपावली में मिट्टी की मूर्तियों की पूजा का विधान है, इसलिए मिट्टी की गुणवत्तायुक्त आकर्षक मूर्तियों के निर्माण पर बल दिया जाय।


खादी ग्रामोद्योग मंत्री ने यह भी बताया कि प्रत्येक जनपद में कारीगरों में 08 इंच एवं 12 इंच की 100-100 डाई का निर्माण कराकर वितरण कराया जा रहा है। माटीकला बोर्ड के अधिकारियों को मिट्टी कारीगरों की मांग के परिप्रेक्ष्य में ‘दीया’ निर्माण को गति प्रदान करने के भी निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि परम्परागत करीगरों को दीया बनाने वाली मशीन (डाई सहित) वितरित की जा रही। इसी प्रकार मूर्तियों को गुणवत्तायुक्त बनाने के प्रयोजन से पेंटिंग के लिए 06 अदद एअर कम्प्रेसर (50 लीटर क्षमता वाले) स्पे्र मशीन, पेंटिंग व्हील आदि उपकरणों का वितरण कारीगरों में शीघ्र सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिए गए हैं।


श्री सिंह ने बताया कि प्रदेश में परंपरागत रूप से लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बनाने वाले समूहों को चिन्हित कर उन्हें कार्यस्थल पर उ0प्र0 डिजाइन संस्थान से एप्रूव्ड योेग्य आर्टिस्टों के माध्यम से प्रशिक्षण देने की व्यवस्था सुनिश्चत की गई है। अनुश्रवण कमेटी को निर्देश दिए गए हैं कि मूर्तियों के निर्माण कार्यों को गति देने तथा कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान करने एवं आवश्यक उपकरण सुलभ कराने संबंधी कार्यों के संबंध में आवश्यक कार्यवाही समय से सुनिश्चित की जाय।


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