एसआईटी भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कार्रवाई - संजय सिंह
लखनऊ। आम आदमी पार्टी के विराम खंड गोमती नगर स्थित नए प्रदेश कार्यालय पर सांसद और प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने पत्रकार वार्ता कर कोना महामारी काल में प्रदेश की योगी सरकार की ओर से किए जा रहे घोटालों में एक नया खुलासा किया। उन्होंने कहां की उत्तर प्रदेश सरकार की मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन ने 300 से 400 गुना ज्यादा कीमत पर चिकित्सीय उपकरणों की खरीद कर घोटालों और भ्रष्टाचार किया।
प्रदेश सरकार घोटाले की जांच के लिए SIT के गठन की बात कह रही है। एसआईटी सिर्फ आंख में धूल झोंकने, गुमराह करने और भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कार्रवाई है। निष्पक्ष जांच की और सीबीआई अथवा हाई कोर्ट के सिटींग जज की अध्यक्षता में बनी एसआईटी से ही हो सकती है।
प्रदेश के 65 जिलों में घोटाला हुआ। ऑक्सीमीटर की खरीद में घोटाला, थर्मामीटर की खरीद में घोटाला, एनालाइजर की खरीद में घोटाला, पीपीई किट खरीद में घोटाला, टूथपेस्ट खरीद में घोटाला,ब्रश खरीदने में घोटाला। यानी यह सरकार घोटालों की सरकार बन गई है और योगी सरकार ने कांग्रेस को भी घोटालों और भ्रष्टाचार में पीछे छोड़ दिया है।यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि कल तक यह बात चलाई जा रही थी कि यह घोटाला मात्र ग्राम पंचायत स्तरों तक हुआ है और कुछ जनपदों का ही घोटाला है। मगर ऐसा नहीं है यह 65 जिलों को घोटाला है। उन 65 जिलों से ज्यादा जिलों में भी यह घोटाला हो सकता है। इसमें सिर्फ ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारी ही नहीं, जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के अधिकारी शामिल है। इसमें उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।
इसका एक और प्रमाण सामने करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन के पास प्रदेश में चिकित्सीय उपकरणों की आपूर्ति का जिम्मा है। यह एक सरकारी संस्था है, जिसके माध्यम से चिकित्सीय उपकरणों की आपूर्ति की जाती है। इसने ऑनलाइन 800 रुपये में मिलने वाले ऑक्सीमीटर को1305 रुपए में खरीदा है और जो थर्मोमीटरऑनलाइन 1800 रुपए में मिलता है, बगैर दाम कम कराए,बिना किसी पैरवी के,बिना किसी टेंडरिंग के, वह थर्मोमीटर मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन ने 5200 रुपए में खरीदा खरीदा है। इस भ्रष्टाचार के बारे में सरकार के अधिकारियों को पता नहीं था, यूपी सरकार को पता नहीं था, यह पूर्णतया असत्य है, गलत है। सप्लाई कारपोरेशन में योगी जी के खास अफसर बैठे हैं। इन्हीं अफसरों ने सप्लाई में 300-400 गुना भ्रष्टाचार किया है। प्रदेश के जिला बिजनौर का हवाला देते हुए प्रदेश प्रभारी ने बताया कि यहां 1800 में मिलने वाला थर्मोमीटर 3000 में खरीदा गया और जो ऑक्सीमीटर 800 में आता है ,उसे 3300 में खरीदा गया। बाकी सामानों को मिलाकर प्रति किट 20,000 की पेमेंट की गई।
सरकारी वेबसाइट के जेम पोर्टल पर 1,45,000 रूप्ये में मिलने वाले एनालाइजर की खरीद प्रदेश सरकार ने 3,30,000 रूपये में की। आप को जानकर हैरानी होगी कि योगी सरकार ने इसे 330000 में खरीदा कहां की कंपनी से? खुद को राष्ट्रवादी बताने वाली योगी सरकार ने इसको दोगुना दाम देकर खरीदा चीन की कंपनी से। ऐसे समय में जब चीन से युद्ध की स्थिति बनी है,चीन के साथ सीमा विवाद की स्थिति बनी हुई है।
सरकार की ओर से गठित एसआईटी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि अब इस पर सरकार ने एसआईटी बना दी है। सरकार का कहना है किअब चिंता मत कीजिए,जांच शुरू हो गई है। दो जिलों के साथ कई अन्य जिलों का हवाला लिख दिया है। मैं पूछना चाहता हूं कि एसआईटी में बैठने वाले 3 आईएएस अधिकारी कैसे इतने सारे जिलों की जांच कर पाएंगे? वह कोई स्पाइडर-मैन है कि उड़ कर चले जाएंगे? आप लोग समझाइए, आप बुद्धिजीवी हैं,योगी सरकार में बैठे तमाम बुद्धिजीवी समझाएं कि योगी सरकार के तीन अधिकारी इतने बड़े प्रदेश और प्रदेश के 110000 गांव, 59000 पंचायत,नगर निगमों के, नगर पंचायतों के और नगर पालिकाओं के 12000 वार्ड। प्रदेश के 3 आईएएस अधिकारी 10 दिन में कैसे जांच कर लेंगे?
आरोप लगाया कि एसआईटी आंख में धूल झोंकने की कार्रवाई है, एसआईटी गुमराह करने की कार्रवाई है, एसआईटी भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कार्रवाई है।कहा कि योगी जी आप रोज टीम 11 की मीटिंग ले रहे थे, इसका मतलब आप को पता था कि ऑक्सीमीटर कितने में खरीदा जा रहा है? थर्मामीटर कितने में खरीदा जा रहा है ?एनालाइजर कितने में खरीदा जा रहा है? यह बिल्कुल संभव नहीं है कि रोज बैठक के बावजूद योगी जी को कुछ भी पता न हो।