हिन्दी दिवस पर : हिन्दी की व्यथा


आज हिन्दी दिवस है। प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता क्योंकि इसी दिन हिन्दी को राजभाषा का दर्जा मिला। आज हिन्दी दिवस के दिन सरकारी , अर्द्ध सरकारी , निजी ,सामाजिक संस्थाने सभी बड़े - बड़े कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे और अपने आप को हिंदी के प्रति समर्पित दिखाने की कोशिश करेंगे। देश के गृह मंत्री अमित शाह भी आज हिंदी दिवस के उपलक्ष में देश को सम्बोधित कर रहे हैं। लेकिन ये सभी तड़क-भड़क सिर्फ आज ही भर चलेगा,कल से सभी हिन्दी को भूलने के प्रयास में लग जायेंगे। यही हिंदी की व्यथा है। 



हिंदी की व्यथा समझने के लिए आपके सामने कुछ उदहारण पेश कर रहा हूँ। हिन्दुस्तान में हिंदी को प्राथमिकता मिलना चाहिए लेकिन विडंबना देखिये हिन्दुस्तान का , यहाँ न्याय भी अंग्रेजी में ही मिलता है।



देश के सर्वोच्च सदन लोक सभा और राजयसभा में भी हिंदी कम प्रताड़ित नहीं है।


लोकसभा की वेबसाइट है https://loksabha.nic.in/ । इस वेबसाइट पर देश के सभी सांसदों का परिचय (बायो डाटा) होता है जिसे कोई भी देख सकता है। मैं भी जिज्ञासावश उस वेबसाइट को एक दिन खोलकर देखने लगा , इस दरम्यान हमने जो देखा उसे देख कर दंग रहा गया। मैंने देखा अपने देश के सांसदों का परिचय (बायो डाटा) अंग्रेजी में 2-3 पन्नों का है और हिंदी में आधे पन्ने का है। मैंने 10 - 20 सांसदों के परिचय (बायो डाटा) को देखा मुझे भरोसा नहीं हुआ कि हिंदी की इतनी बेज्जती हमारे सांसद कर रहे हैं,फिर मैंने सोचा चलो ये तो सिर्फ सांसद व मंत्री हैं इन सबके सरदार तो प्रधानमंत्री ही कहलाते हैं उनका परिचय (बायो डाटा) देखा जाय अगर उनका परिचय (बायो डाटा) हिंदी - अंग्रेजी दोनों में बराबर है तो चल जायेगा ,क्योंकि विदेश में भी बैठा कोई व्यक्ति अगर किसी सांसद या मंत्री को सर्च करेगा तो सबसे पहले प्रधानमंत्री को ही सर्च करेगा ,वैसे भी मोदी जी विश्व के नेता हैं ,अगर किसी को ढूँढना होगा तो उन्ही को ढूंढेगा। मैंने प्रधानमंत्री का परिचय (बायो डाटा) चेक किया , ये क्या प्रधानमंत्री का अंग्रेजी में जो परिचय (बायो डाटा) था 3 पन्ने से भी ज्यादा का और हिंदी में एक पन्ने से भी कम का । मुझे अच्छा नहीं लगा,मैंने तुरंत स्क्रीन शॉट लिया और उसे लोकसभा अध्यक्ष,लोकसभा सचिव और प्रधानमंत्री को ट्वीट कर दिया और कहा महोदय इसे ठीक करा लें हिन्द देश में हिन्दी को अपमानित ना होने दें। ट्वीट करने के अगले दिन से वेबसाइट अंडर कंस्ट्रक्शन हो गया तो मुझे लगा शायद सरकार को लगा कि यह गलत है इसमें सुधार होना चाहिए इसलिए शायद अंडर कंस्ट्रक्शन चल रहा है।



आज हिंदी दिवस के अवसर पर बड़ा उत्साहित होकर लोकसभा की वेबसाइट को चेक करने पहुंचा तो देखा अभी तक कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये है हमारे हिन्द देश में हिंदी की दशा। जब देश के सर्वोच्च स्थान विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका में ही हिंदी को सम्मान नहीं मिलेगा तो कैसे हम कहेंगे हिंदी हैं हम। 


(जितेन्द्र झा)  


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