इस लूट को क्या नाम दूँ ........ ?


इस दुनिया में हर किसी का कोई ना कोई नाम जरूर है उसी प्रकार कोई घटना घटित हो जाय तो उन घटनाओं के नाम भी अलग है। जैसे घर में लूट - पाट हो जाय तो चोरी या डकैती। किसी की जान ले ली जाय तो हत्या। किसी काम के लिए कोई अवैध रूप से पैसा या कीमती सामान ले तो उसे घूसखोरी या भ्रष्टाचार आदि। कहने का मतलब है कि इस दुनिया में जितने भी लोग हैं या जितनी तरह की घटनाएं हैं उन सभी का कुछ ना कुछ नाम जरूर है। लेकिन आज मैं जिस लूट की व्यख्या करने जा रहा हूँ उस लूट का नामांकरण अभी तक नहीं हुआ इसलिए असमंजस में हूँ कि आखिर इस लूट को क्या नाम दूँ ?


कोरोना काल में बहुत लोग लुटे हैं तो बहुतों ने लूटा है। लेकिन सभी लूटों को कोई ना कोई नाम दिया गया। इसी कोरोना काल में शिक्षण संस्थान भी अभिभावकों को लूट रहे हैं। शिक्षण संस्थानों में हो रही अवैध वसूली को हमने लूट का नाम दिया है। लूट का नाम इसलिए दिया है क्योंकि बिना काम के अगर दाम लग जाए तो उसे लूट ही कहा जाता है। 22 मार्च के जनता कर्फ्यू के बाद से अभी तक विद्यालय / शिक्षण संस्थाने बंद है फिर भी ये संस्थाएँ लूट मचाये हैं। विद्यार्थी विद्यालय गया नहीं कंप्यूटर फीस चाहिए,लाइब्रेरी फीस चाहिए,विद्यालय रख-रखाव फीस चाहिए आदि। अब इस फीस को अभी के समय में फीस कहना गलत होगा क्योंकि यह अवैध फीस की श्रेणी आएगा क्योंकि इसका उपभोग करने वालों ने उपभोग ही नहीं किया तो इसकी कीमत क्यों और इस को फीस का नाम क्यों ? ये तो लूट की श्रेणी में आता है।  


इस लूट में सिर्फ निजी संस्थाने ही शामिल नहीं है इसमें सरकारी शिक्षण संस्थानें भी शामिल हैं। सरकारी शिक्षण संस्थानो ने भी कोरोना काल में कंप्यूटर फीस लिया है निजी की तो बात ही छोड़ दीजिये। दुनिया कहती है कोरोना ने विश्व को कंगाली के कगार पर ला दिया है तो क्या अभिभावक इस दुनिया के नहीं है  ? क्या कोरोना में अभिभावकों ने अतिरिक्त मुनाफा कमाया है  ? क्या शिक्षण संस्थाने अभिभावकों को लूटने के लिए ही बनाये गए हैं ? "विद्या ददाति विनयं" अर्थात विद्या विनय देती है। लेकिन यहाँ तो पढ़े लिखे लोग विद्या के नाम पर लूट मचाये पड़े हैं और नाम फीस दे रखें है। 


ये अवैध वसूली फीस तो नहीं हो सकती यह लूट है और असमंजस में हूँ कि आखिर इस लूट को क्या नाम दूँ ......?  


(जितेन्द्र झा) 


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