कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरने वाले खुद नहीं करते कानून का लिहाज


लखनऊ। राजनीति हमारे देश में किस हद तक गिर चुकी है इसका अंदाजा राज्यसभा सांसद संजय सिंह को देखकर लगाया जा सकता है। एक राज्यसभा सांसद और  इतनी ओछी राजनीति क्या होगा इस देश का ?


बताते चलें कि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह वर्तमान में राज्य सभा सांसद हैं साथ ही पार्टी ने उन्हे उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा हैं। पार्टी को विस्तार देने हेतु श्री सिंह विगत 5 अगस्त को राममन्दिर शिलान्यास के बाद से उत्तर प्रदेश में काफी सक्रीय हैं और ओछि राजनीति की दिन प्रतिदिन हदें पार करते जा रहे हैं। मन्दिर शिलान्यास में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को नहीं बुलाये जाने का झूठा प्रचार इन्होने प्रेस प्रतिनिधियों को बुलाकर किया था , जब इनका झूठ पकड़ा गया तो इन्होने जातिवाद को बढ़ावा देते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि प्रदेश में ठाकुरों की सरकार चल रही है और एसटीएफ को "स्पेशल ठाकुर फोर्स" का नाम दिया। जब समाज में अराजकता बढ़ने लगी तो समाज के प्रबुद्ध लोगों ने इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई,इनपर कुल 9 एफआईआर दर्ज हुए।  उन दर्ज एफआईआर के विरुद्ध इनको पुलिस ने नोटिस भेजा जिसे इन्होने आज प्रेस प्रतिनिधियों के सामने ही फाड़ दिया और खुद को बहादुर साबित कर लिया। 


अब सवाल यह उठता है कि जब श्री सिंह खुद कानून को नहीं मानते और कानूनी नोटिस को महज रद्दी समझकर फाड़ देते हैं तो फिर वो किस मुँह से प्रदेश सरकार को कानून व्यवस्था पर घेर रहे हैं। वो लिखते हैं कि मैं देश के सर्वोच्च सदन राज्यसभा का सदस्य हूँ लेकिन आज उन्होंने प्रेस प्रतिनिधियों के सामने जो करतूत की है क्या वो एक राज्यसभा सदस्य को शोभा देता है ?


आम आदमी पार्टी का गठन जातिवाद,भाई - भतीजावाद,भ्रष्टाचार आदि के खिलाफ हुआ था। क्या सांसद संजय सिंह पार्टी की मर्यादा के साथ सदन की मर्यादा भी भूल गए ? 


(जितेन्द्र झा)


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