केवल नाम के आश्रय से चारों तत्वों का अनुभव हो जाता है


स्वरूप चिंतन के साथ किये गए नाम जप के फल का बडा ही महत्व हैं, ऐसा उच्चरित भगवान का एक भी नाम समान्योच्चारित हजार नामों से श्रेष्ठ है।


नाम, जप और रूप चिंतन से एक अलौकिक अनुभूति का सृजन होता है कि ठाकुर जी लीला कर रहे हैं और जहाँ प्रभु लीला होती है, वहाँ धाम स्वतः बन जाता है।


अकेला सविधि किया गया भगवन्नाम जप, नाम, रूप लीला व धाम इन चारों की सिद्धि देने वाला हो जाता है। केवल नाम के आश्रय से चारों तत्वों का अनुभव हो जाता है।


Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव!

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।