कृषि अध्यादेश के खिलाफ यूपी में सड़कों पर उतरी आम आदमी पार्टी , प्रदेश अध्यक्ष को पुलिस ने किया गिरफ्तार


लखनऊ। भारी विरोध के बावजूद, संसद में पारित हुए कृषि अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार को चौतरफा घेरने के लिए सड़क पर संघर्ष किया ।


किसान बिल के विरोध में आप सांसद संजय सिंह राज्य सभा परिसर में ही चादर और तकिया लेकर धरने पर बैठे। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह के नेतृत्व में राजधानी लखनऊ में जीपीओ पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया और प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह सहित सभी को गिरफ्तार कर ईको गार्डन ले गई। 


भाजपा सरकार के कृषि बिल पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने इसे काला कानून बताया और कहा कि  किसानों की फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने, किसानों की आय दोगुनी करने के वादे को पूरा करने में नाकाम मोदी सरकार किसानों को पूँजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है। उन्होंने कहा, "आए दिन आत्महत्या कर रहे किसानों का दुख दर्द सुनने के बजाए, पूरे कृषि क्षेत्र को पूजीपतियों के हवाले करने  की साजिश है यह किसान विरोधी बिल है। उन्होंने कहा, "देश में सर्वाधिक आबादी वाले इस उत्तर प्रदेश में किसानों की हालत पहले से ही बदतर है। प्रदेश की योगी सरकार किसानों को खाद बीज बिजली पानी उपलब्ध करवाने में असमर्थ है, न ही गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान हो रहा है। प्रदेश का किसान आत्महत्या को मजबूर है। ऐसे समय भी मोदी-योगी सरकार पूंजीपतियों के साथ खड़ी है।" सभाजीत सिंह ने कहा आम आदमी पार्टी हमेशा किसानों के हक में खड़ी है और उनके साथ अन्याय नहीं होने देगी। 


किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष महेश त्यागी ने किसान बिल पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, “मोदी-योगी सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाहती है। हम इसके खिलाफ मजबूती से लड़ेंगे।


विरोध प्रदर्शन के साथ ही आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। पार्टी ने कहा कि केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार को उन 80 प्रतिशत लोगों की कोई चिंता नहीं है, जो गाँव में रहते हैं और कृषि पर निर्भर हैं। एमएसपी ऑर्डिनेंस बिल इस बात का जीता जागता प्रमाण है।


ज्ञापन के जरिए “आप” ने कहा कि कृषि को प्राइवेट हाथों में देने के लिए यह बिल लाया गया है। इस बिल के कारण धान और गेहूं की एमएसपी खत्म हो जाएगी। बिल के माध्यम से सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को कृषि सेक्टर को हड़पने की खुली छूट दे दी है।


केंद्र सरकार द्वारा एयरपोर्ट, एलआईसी, बैंक, एयर इंडिया बेचने के अलावा रेलवे का निजीकरण करने पर नाराजगी जताते हुए, आम आदमी पार्टी ने कहा कि अब प्रधानमंत्री मोदी इस किसान अध्यादेश के माध्यम से किसानों की खेती को भी छीनना चाहते हैं। इस बिल के पास होने से बड़े-बड़े पूंजिपतियों को कृषि क्षेत्र में आने का मौका मिलेगा। 10-20 एकड़ जमीन के क्लस्टर बनेंगे और पूंजीपति कहीं से भी फसल खरीद कर, देश में कहीं भी उसका भंडारण कर सकेंगे।


आपको बता दें कि इस अध्यादेश के पारित होने के बाद किसी भी जरूरी वस्तु को कहीं भी इकट्ठा करने, जरूरी वस्तुओं का जितना चाहे उतना भंडारण करने और जब मन चाहे उसे बेचने की स्वीकृति मिल गई है।


गौरतलब है कि रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के उपज, व्यापार और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से संबंधित दो विधेयक पेश किए थे, जिसका विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इसे भारतीय जनतंत्र के लिए काला कानून कहा था। साथ ही “सड़क से लेकर संसद तक” इस विधेयक के विरोध में प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। पूरे विपक्ष और सहयोगी अकाली दल के विरोध के बाद भी राज्यसभा से इस विधेयक को पास किए जाने के विरोध में सदन में जम कर हंगामा हुआ था।


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