लोकतांत्रिक समाजवाद के सच्चे प्रवर्तक थे "बाबू रघुवंश प्रसाद सिंह"


14 सितंबर , स्थान : बिहार राज्य के वैशाली जिले के महनार का हसनपुर घाट , जहाँ लोक नायक जय प्रकाश नारायण की पाठशाला से निकले छात्र व  ' ब्रह्मा बाबा ' के नाम से मशहूर बाबू रघुवंश प्रसाद सिंह को उनके छोटे पुत्र ने मुखाग्नि दी। देर शाम को हुई अंतेष्टि में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव , बिहार सरकार की ओर से सूचना मंत्री नीरज कुमार , विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता , समाजसेवी , गणमान्य व्यक्ति व भारी संख्या में जनता की मौजूदगी थी जो रघुवंश बाबू की अपार लोकप्रियता की कहानी बयां कर रहे थे।


मेरे जैसे लोग जिन्होंने शास्त्री जी को नहीं देखा , वे बाबू रघुवंश प्रसाद सिंह के कार्य - व्यवहार से श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री के व्यक्तित्व की कल्पना करते थे। ईमानदारी - सादगी - साफगोई  के पर्याय बाबू रघुवंश प्रसाद सिंह को ग्रामीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए सदैव याद किया जायेगा। श्रद्धेय रघुवंश प्रसाद सिंह राजनीति में आने से पूर्व सीतामढ़ी के एक कालेज में गणित विषय के प्रोफेसर हुआ करते थे। जे.पी. के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से प्रभावित होकर रघुवंश बाबू कर्पुरी ठाकुर के सानिध्य में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के झंडे तले सक्रिय हुए। आपात काल में वे मीसा के तहत गिरफतार हुए। बिहार सरकार में वे 1977 - 79 तक ऊर्जा मंत्री रहे।



रघुवंश बाबू आपात काल में ही बिहार के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव के निकट आये और तीन दशक से ज्यादा समय तक उनके साथ एक लंबी राजनीतिक साझीदारी किया। डा.रघुवंश प्रसाद सिंह 1996 में वैशाली लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए जहाँ से वे पांच बार सांसद बने। डा.मनमोहन सिंह की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में वे ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री बने। सार्वजनिक जीवन में गाँव - गरीब , खेत - खलिहान और किसान के हक की लड़ाई लड़ने वाले और पेट - खेत की बात करने वाले रघुवंश बाबू ने मनरेगा जैसी योजना को लागू करने की वजह से इतिहास के पन्नों मेँ अपना स्थान बना लिया। यहां यह बताना जरूरी है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ( यूपीए - 1) के शासन काल में राष्ट्रीय सलाहकार समिति रोजगार गारंटी कानून लागू करना चाहती थी तब यह रघुवंश बाबू थे जिन्होंने राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना को मूर्त रूप दिया. 02 फरवरी 2006 को देश के 200 पिछड़े जिलों में इसे लागू किया गया। 2008 में यह कानून  महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना ' मनरेगा ' भारत  के सभी जिलों में क्रियान्वित हुआ जिसमें न्यूनतम 100 दिन के रोजगार की गारंटी थी। बाबू रघुवंश प्रसाद सिंह ने सामाजिक विषमता और गैर बराबरी को खत्म करने की अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को भारत सरकार के मंत्री के रूप में मनरेगा जैसी योजनाओं को लाकर भारत के इतिहास में सदैव के लिए अमर हो गए।  


* लेखक नैमिष प्रताप सिंह लोकशक्ति अभियान ' एक स्वैच्छिक संगठन ' के अध्यक्ष व 36 रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से पूर्व स्वतंत्र प्रत्याशी है। 


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