मरघट पर पहुँच गया , निकल गया मौका हाथ से


मृत्यु के बाद मुक्ति नहीं है। मुक्ति यदि सम्भव है तो मृत्यु के पूर्व तक सम्भव है। इसलिए जब मृत्यु हुई, मुक्ति की सम्भावना मिट गयी।


अब तो प्रारब्ध के अनुसार, कर्मानुसार जहाँ जिस योनि में जन्म मिलेगा, लेने के लिए बाध्य हैं हम। मुक्ति, मृत्यु के पूर्व तक ही सम्भव है।


ये जीवन बस थोड़ा है। मरघट पर पहुँच गया, निकल गया मौका हाथ से, छूट गया मौका। जीवन की शाम कौन सी गली में हो जाएगी ये कोई नहीं जानता। अतः सावधान रहना चाहिए और प्रभु का भजन करो।


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