मोदी किसानों के मसीहा - विचार मंच
लखनऊ। आज बुद्धिजीवियों की पुरानी एवं महत्वपूर्ण संस्था ‘विचारमंच’ द्वारा कोरोना की बंदिशों के कारण दूरभाष पर अपनी नियमित संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ‘नई किसान नीति’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि विपक्षी दल यह मांग करते थे कि जब अन्य वस्तुओं के उत्पादकों को यह अधिकार है कि वे अपनी चीजों को अपनी इच्छा के अनुसार कहीं भी बेचें तो किसानों को भी यह अधिकार होना चाहिए कि वे अपने खाद्यान्न को कहीं भी बेच सकें। विपक्षी दलों ने अपने शासनकाल में तो ऐसा नहीं किया, किन्तु जब मोदी सरकार ने किसानों के हित में विधेयक पारित कर उक्त व्यवस्था की है तो विपक्षी दल उसका विरोध कर रहे हैं तथा झूठ बोलकर किसानों को भड़का रहे हैं और अराजकता पैदा कर रहे हैं।सच्चाई तो यह है कि अपनी नई कृषि-नीति लागू कर प्रधानमंत्री मोदी ने सिद्ध कर दिया है कि वह किसानों के सच्चे मसीहा हैं।
मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ मजदूर नेता एवं राजनीतिक विश्लेषक सर्वेश चंद्र द्विवेदी ने कहाकि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में स्वामीनाथन समिति का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ इस आशय की भी महत्वपूर्ण सिफारिश की थी कि किसानों को अपने उत्पाद कहीं भी बेचने की छूट होनी चाहिए। अब मोदी सरकार ने स्वामीनाथन समिति की धूल खा रही उक्त रिपोर्ट को लागू कर दिया है, जिससे किसानों को अपनी आय बढ़ाने का अच्छा अवसर प्राप्त होगा। मोदी सरकार का वादा था कि वह अपने कार्यकाल में किसानों की आय दुगनी करने की दिशा में कदम उठाएगी। मोदी ने अपनी सरकार बनते ही किसानों के कल्याण के लिए अनेक काम किए। संसद में मोदी सरकार ने जो नया कृषि-विधेयक पारित किया है, उसके अनुसार साधनहीन किसानों को यह सुविधा प्राप्त हो जाएगी कि वे अपनी खेती के आधुनिकीकरण के लिए विभिन्न जरूरी संसाधनों से युक्त लोगों अथवा कंपनियों से इस बात का अनुबंध कर सकें कि उनके संसाधनों के उपयोग से किसानों को अमुक-अमुक फायदे होंगे। चूंकि इस अनुबंधित-कृषि(काॅन्ट्रैक्ट फार्मिंग) के दस्तावेज लिखित अनुबंध के रूप में होंगे, इसलिए उनका उल्लंघन करना संभव नहीं होगा तथा उल्लंघन दंडनीय अपराध होगा। जो कृषि-विधेयक पारित हुआ है, उसमें अब किसानों को यह छूट रहेगी कि वे अपने क्षेत्र के बाहर स्थित बाजारों में अधिक लाभ मिलने पर वहां अपने उत्पाद बेच सकें। वर्तमान में जो मंडी-समितियां हैं, वे कायम रहेंगी तथा किसान चाहें तो वहां भी पहले की तरह अपने खाद्यान्न बेच सकेंगे। इसके अलावा अभी किसानों से निर्धारित दर पर सरकार खाद्यान्न की जो खरीद करती है, वह व्यवस्था भी लागू रहेगी, ताकि
किसानों को कोई नुकसान होने की गुंजाइश न रहे। इस प्रकार किसानों के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखते हुए उनकी आय में वृद्धि का प्रयास किया जाएगा।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ‘समाचारवार्ता’ के सम्पादक श्याम कुमार ने कहाकि आजादी के बाद 70 साल किसानों ने भीषण उपेक्षा एवं दुर्दिन झेले हैं तथा कर्ज में डूबे अनगिनत किसानों ने आत्महत्या की। अब मोदी सरकार के समय पहली बार किसानों के कल्याण की ओर ध्यान दिया गया है। राजनीतिक विश्लेषक हरिप्रकाश ‘हरि’ ने कहाकि हमारे यहां के विपक्षी दल
मोदी सरकार की नई नीति के बारे में झूठ बोलकर किसानों को अफवाहों का शिकार बना रहे हैं।
कैलाश वर्मा, राजीव अहूजा, सुरेंद्र अग्निहोत्री, डाॅ. हरिराम त्रिपाठी, राम सिंह तोमर, विजय कुमार निगम आदि पत्रकारों ने कहाकि सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि जनहित में वह जब भी कोई क्रांतिकारी कदम उठाती है तो उसके बारे में ढंग से समुचित प्रचार क्यों नहीं करती है, ताकि विपक्षी दल जनता में भ्रांति न फैला सकें। अभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का प्रचारतंत्र कारगर नहीं सिद्ध हो रहा है।