निजीकरण के विरोध में चौथे दिन भी प्रदेश भर में जारी रही विरोध-सभा
लखनऊ। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में आज चौथे दिन भी प्रदेश व्यापी विरोध सभा का क्रम जारी रहा। विगत 21 सितम्बर से व्यापक जनजागरण हेतु विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के केन्द्रीय पदाधिकारी द्वारा प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में दौरे एवं ध्यानाकर्षण सभा का क्रम जारी है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन की विफलता की ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी का ध्यानाकर्षण करते हुए उनसे अपील की है कि महामारी के दौरान कोरोना योद्धा की तरह निर्बाध बिजली आपूर्ति बनाए रखने वाले बिजली कर्मियों पर भरोसा रखा जाए और प्रदेश में सतत विद्युत आपूर्ति प्रदान करते हुये एतिहासिक 24000 मेगावाट की रिकार्ड अधिकतम विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने वाले बिजली कार्मिकों की ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार अभूतपूर्व योगदान को ध्यान में रखते हुये निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त किया जाए।
आज चौथे दिन मध्यांचल विद्युत् वितरण निगम के मुख्यालय पर हुयी विरोध सभा में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के विघटन एवं निजीकरण की दिशा में एक भी और कदम उठाया गया तो बिना और कोई नोटिस दिए सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मी उसी क्षण अनिश्चितकालीन आंदोलन जिसमे पूर्ण हड़ताल भी होगी, प्रारम्भ कर देंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबंधन एवं सरकार की होगी।
सभा को सम्बोधित करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों इं0 ए0एन0 सिंह,इं0 करूणेन्द्र कुमार वर्मा,सुनील यादव, शैलेन्द्र धूसिया, प्रदीप वर्मा, प्रेम नाथ राय, वी के सिंह कुलेन्द्र सिंह चौहान, ए के मिश्र, एस यू खान, डी के प्रजापति, के एस रावत, इं0 आशीष कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए बताया की ऊर्जा निगमो का शीर्ष प्रबंधन पूरी तरह से विफल हो गया है और अपनी विफलता छिपाने के लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है और ऊर्जा क्षेत्र में अनावश्यक टकराव पैदा किया जा रहा है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि ऊर्जा निगमों का प्रबंधन बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं को हड़ताल के रास्ते पर धकेल कर ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति को पैदा कर रहा है।
संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार और प्रबंधन से विगत में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा करने की अपील की किंतु प्रबंधन निजीकरण और फ्रेंचाइजीकरण की विफलता पर कोई समीक्षा करने को तैयार नहीं है। संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों का कहना है कि दिसंबर 1993 में ग्रेटर नोएडा क्षेत्र का निजीकरण किया गया और अप्रैल 2010 में आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट फ्रेंचाइजी को दी गई और यह दोनों ही प्रयोग विफल रहे हैं। इन प्रयोगों के चलते पावर कारपोरेशन को अरबों खरबों रुपए का घाटा हुआ है और हो रहा है।
सरकार के प्रस्ताव के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का विघटन कर तीन छोटे निगम बनाए जाएंगे और उनका निजीकरण किया जाएगा। यद्यपि कि ग्रेटर नोएडा में निजीकरण और आगरा में फ्रेंचाइजीकरण के प्रयोग भी पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इन्हीं विफल प्रयोगों को एक बार फिर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम पर क्यों थोपा जा रहा है।
संघर्ष समिति ने विघटन और निजी करण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर पढ़ने वाले प्रतिगामी प्रभाव और उपभोक्ताओं एवं गरीब किसानों के लिए बेतहाशा महंगी बिजली के रूप में आने वाली कठिनाई की ओर भी सरकार व प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया है।
आज की सभा की अध्यक्षता के के वर्मा एवं सभा का संचालन ए0के0 मिश्र द्वारा किया गया। सभा में एस एम गर्ग, इं सी वी सिंह गौतम,हनुमान प्रसाद मिश्रा, भरत सिंह,शौमिल सिन्हा,अभिनव तिवारी ,अनिमेष मिश्र अभिषेक दुबे, श्यामवीर,संजीव वर्मा, विवेक तीवारी, अजय यादव, दिवाकर यादव, वैभव अस्थाना, एस के विश्कर्मा, , मोहित राय, सूरज यादव, जे बी सिह, आशुतोष कुमार, अशोक कुमार, सौभाग्य शुक्ला, कपिल,धवन पाल, समेत काफी संख्या में बिजली कर्मी सम्मिलित हुए।