फल तो हर एक कर्म का मिलेगा ही मिलेगा


चित्र - परमहंस राममंगलदास जी महाराज


महाराज जी के मुख्य उपदेश सरल शब्दों में उतारने का प्रयत्न
1. अपने -परायों को, अपने किसी स्वार्थ के लिए, दुःख ना देने की कोशिश करनी चाहिए, विशेषकर अपनी वाणी से ………..क्योंकि फल तो हर एक कर्म का मिलेगा ही मिलेगा। इसलिए इस बारे में अंततः जितना कम दुःख झेलना पड़े उतना ही हमारे लिए अच्छा है :-)


2. बेईमानी के पैसे से ना खुद और ना अपने परिवार का पेट पालें, छल -कपट से धन -संपत्ति ना कमाएं -ये बहुत ही बुरा कर्म है क्योंकि इसमें हम अपने साथ -साथ अपनों को भी जाने -अनजाने में पाप का भागीदार बनाते हैं।


3. विनम्र बनें। अपने आप को याद दिलाते रहें की जो कुछ भी हमारे पास है, हमारे जीवन में जो भी अच्छा -बुरा है, वो है तो हमारे कर्मों का फल ही है, लेकिन है उस परम आत्मा की कृपा से, महाराज जी के मर्ज़ी से। क्षणिक भी है।


4. निस्वार्थ भाव से और बिना किसी भी प्रकार के अहंकार के ज़रूरतमंदों की मदद करें- यथासंभव। ऐसा कर्म करने में यदि उस वंचित की जाति और धर्म जानने का विचार भी आता है तो उसे उसी समय नकार देना है। महाराज जी के सच्चे भक्त, उनके उपदेश अनुसार, जात-पात को नहीं मानते।


5. उस परम आत्मा के समीप जाने के लिए किसी भी प्रकार के अहंकार रूपी परदे से किनारा करना होगा -फिर चाहे वो धन -संपत्ति का अहंकार हो, रूप, ओहदा, बल, जाति या अपने आप को बड़ा भक्त मानने का ही क्यों ना हो इत्यादि।


अब इस बारे में कौन सा या कौन -कौन से उपदेश का पालन करना कठिन है, ये महाराज जी का हर भक्त स्वयं तय कर सकता है। जो जितना अधिक पालन करेगा उसके बाकी जीवन में उतना ही अधिक सुख और सबसे महत्वपूर्ण शांति होगी। वैसे ही वो महाराज जी को अपने समीप भी पाएगा।


महाराज जी सबका भला करें।


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