फुटपाथों पर दुकानदारी नहीं - विचार मंच

लखनऊ। आज बुद्धिजीवियों की पुरानी एवं महत्वपूर्ण संस्था ‘विचारमंच’ द्वारा कोरोना की बंदिशों के कारण दूरभाष पर अपनी नियमित संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ‘पटरियों पर दुकानदारी’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सड़कों के किनारे बनी पटरियां (फुटपाथ) राहगीरों के चलने के लिए बनी हैं, न कि दुकानदारी के लिए। पटरी पर दुकानें लगाने वालों के लिए अन्यत्र व्यवस्थाएं की जानी चाहिए। हर क्षेत्र में किसी खाली स्थान पर (पार्कों में नहीं) अथवा उपयुक्त स्थानों पर अधिग्रहण कर वहां छोटे-छोटे हाट बना दिया जाएं, जहां पटरी दुकानदारों को स्थान आवंटित कर दिए जाएं। उनके लिए ऐसे भूमिगत बाजार बनाए जा सकते हैं, जहां ग्राहक आसानी से पहुंच सकें।

 

मुख्य वक्ता के रूप में डॉ हरिराम त्रिपाठी ने कहाकि पटरी दुकानदारों के कारण रास्तों पर चलना मुश्किल हो गया है। शहर में अतिक्रमण का सबसे बड़ा कारण पटरियों पर होने वाली दुकानदारी है। विभिन्न क्षेत्रों में लगने वाले साप्ताहिक बाजार कोढ़ में खाज का काम करते हैं। निशातगंज, सरोजिनीनायडू मार्ग आदि सभी क्षेत्रों में साप्ताहिक बाजार वाले रास्तों से गुजरना असंभव हो जाता है। प्रशासन मूकदर्शक बना रहता है। सरोजिनी नायडू मार्ग के निवासियों ने मांग की थी कि शनिवार को  सड़क पर लगने वाला साप्ताहिक बाजार मायावती द्वारा बनवाए गए 'प्रेरणा स्थल' के बगल में बनी नाले वाली सड़क पर स्थानांतरित कर दिया जाए, क्योंकि वह सड़क खाली रहती है। लेकिन जिला प्रशासन व नगर निगम ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया। 

 

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पत्रकार श्याम कुमार ने कहाकि सरकार प्रदेश शहरों को 'स्मार्ट शहर' बनाने का सपना देख रही है। किंतु जब तक शहर के चप्पे-चप्पे से अतिक्रमणों को नहीं हटाया जाएगा और पटरियों पर दुकानदारी नहीं रोकी जाएगी, तब तक स्मार्ट सिटी का सपना सिर्फ सपना रहेगा। पत्रकार राजीव अहूजा ने कहा कि जब कहीं पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण होते हैं, तब अफसर व कर्मचारी घूस खाकर उन्हें प्रोत्साहन व संरक्षण देते हैं। बाद में बहुत दबाव पड़ने पर अतिक्रमणों और अवैध निर्माणों के विरुद्ध कार्रवाई होती है, जिससे सरकार की किरकिरी होती है। लेकिन जिन अफसरों ने अतिक्रमण व अवैध निर्माण होने दिए, उनके विरुद्ध कभी दंडात्मक कार्रवाई नहीं होती है। जबकि होना यह चाहिए कि अतिक्रमणों और अवैध निर्माणों के लिए जिम्मेदार अफसरों को नौकरी से बर्खास्त कर उनकी समस्त अवैध संपत्ति जब्त कर ली जाए। 

 

पत्रकार राम सिंह तोमर ने कहा कि बड़े दुकानदार पटरी दुकानदारों का इसलिए विरोध कर रहे हैं कि उनकी दुकानों के सामने यह लोग जगह छेंक लेते हैं तो उनकी दुकानों में आने-जाने में ग्राहकों को दिक्कतें होती हैं और उनके यहां बिक्री पर बुरा असर पड़ता है। पटरी दुकानदारों के नेता गोकुल प्रसाद का तर्क है कि अमीनाबाद बाजार 200 साल पुराना है, इसलिए उन्हें नहीं हटाया जा सकता। इस बेतुके तर्क का उत्तर यह है कि अमीनाबाद बाजार 200 साल पुराना है, किंतु पटरियों पर की जाने वाली दुकानदारी नहीं। कुछ दशक पूर्व अमीनाबाद बाजार में अतिक्रमण नहीं होते थे तथा वहां बड़ी आसानी से वाहन आते-जाते थे। अगर पटरी दुकानदारी थी भी और 200 साल से जगह छेंक भी रहे होते तो इससे उनका अधिकार नहीं बन जाता। उनके तर्क के आधार पर तो कुछ सौ साल से चली आ रही अमानवीय सती प्रथा को भी नहीं रोकना चाहिए था। पटरियों पर सिर्फ राहगीरों का अधिकार है, अन्य किसी का हरगिज नहीं।

 

वरिष्ठ मजदूर नेता एवं राजनीतिक विश्लेषक सर्वेश चंद्र द्विवेदी, समाजसेवी सुशीला मिश्र, पत्रकार राजू यादव, महर्षि इंद्र प्रकाश, मुरलीधर सोनी, रुकैया परवीन, शौकत अली, राम लखन यादव आदि ने भी फुटपाथ पर दुकानदारी करने का कड़ा विरोध किया और कहा कि इनके कारण नजीराबाद, अमीनाबाद, वजीरगंज आदि शहर के अधिकांश क्षेत्रों का यह हाल हो गया है कि वहां पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। पटरियों पर दुकानदारी कड़ाई से प्रतिबंधित की जाए तथा कठोर दंड की व्यवस्था की जाए। अन्यथा लोग अतिक्रमण बचाओ संघ, अवैध निर्माण बचाओ संघ, वेश्यावृत्ति संघ आदि भी बनाने लगेंगे। 

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें