रामायण जीना सिखाती है और भागवत मरना सिखाती है


रामायण जीना सिखाती है और भागवत मरना सिखाती है। मरो तो ऐसे मरो कि बार-बार मरना न पड़े। जन्म-मृत्यु के चक्कर से मुक्त हो जाओ। 


मरो तो ऐसे मरो, मरना मरना नहीं मालिक से मिलना हो जाय। मृत्यु की पीड़ा से बचना हो तो श्रीमद्भागवत जी का आश्रय करो। फिर मृत्यु पीड़ा नहीं आनंदानुभूति हो जायेगी। 


श्रीमद्भागवत जी जैसा मन को शुद्ध करने वाला कोई साधन नहीं है। इसलिए जब जन्म जन्मांतर के पुण्यों का जब फल मिलने को होता है तब श्रीमद्भागवत जी का कथा श्रवण करने का लाभ मिलता है।


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