साधु या सच्चे साधक के जीवन में जो भी हो रहा है वो उस सर्वशक्तिशाली ईश्वर की मर्ज़ी से हो रहा है


चित्र - परमहंस राममंगलदास जी महाराज


महाराज जी भक्तों को साधू के लक्षण बता रहे हैं


जब हम १२ वर्ष के थे, तब हमारे गाँव में बल्दी सुनार थे उनके घर में ईश्वरदीन, शम्भू, भगवानदीन, गिरजादयाल थे सब साधु -सेवा करते थे। गाने, बजाने की शौक थी। एक बूढ़े साधु हनुमान जी के भक्त थे, उनके साथ चार साधु नवजवान आये। उनके यहाँ महीनों रहा करते थे एक बार गांव के कई दुष्ट रात में हाँडी में मैला भरकर अध्धा (आँगन) पर आधी रात में फेंका गरमी के दिन थे, हवा चलती थी, और सब अवली (छत) के नीचे थे। अध्धा भी उसी के नीचे था सब सो रहे थे, हंड़ी फूटी बाबा छीप गये, अध्धा भी छीप गया बाहर के साधुन (साधुओं) पर भी छींटे पड़ी सब जग पड़े पास में कुंआ था, तालाब भी था। सब नहाये, सुबह अध्धा धोया गया बहुत लोग सुने, आ गये।बाबा ने कहा-इस गाँव में हम कई बार आये कुछ न मिला अबकी भगवान ने हमारी इच्छा पूरी कर दी। हम कैसे इन लोगों से उद्धार होंगे धन्य हैं इस गांव के भक्त लोग तब चार साधु जो थे, कहे- महाराज, आप की बदौलत हमें भी कुछ छींटे मिल गये - हमें उतना ही प्रसाद बदा था फिर कभी किसी ने नहीं बहाया बाबा कई बार आये फिर गाँव के सब लोग आये, दर्शन करने लगे।ऐसे सहन शील संत थे यह साधुन के लक्षण है।
 
महाराज जी हमें यहाँ पर साधू या सच्चे साधक के गुणों के बारे में बता रहे है कि


- वे अपने जीवन के विभिन्न उतार -चढ़ाव में आसानी से विचलित नहीं होते और उस परम आत्मा के कृतज्ञ रहते हैं। वे ये मान के चलते हैं कि जो भी उनके जीवन में हो रहा है वो उस सर्वशक्तिशाली ईश्वर की मर्ज़ी से हो रहा है, इसलिए इसमें उनका कोई ना कोई कल्याण निहित है ऐसा विश्वास होने से उनमें धैर्य और सहनशीलता दृढ़ हो जाती है।


- संभवतः इसीलिए वे अपने जीवन की हर एक परिस्थिति में कुछ ना कुछ सकारात्मक खोज लेते हैं -ऐसी परिस्थितियां जो कभी -कभी एक अति से दूसरी अति तक भी चली जाती हैं.........


वैसे तो महाराज जी ऐसे गुण एक साधक के लिए बता रहे हैं लेकिन उनका ये उपदेश उनके हर एक भक्त के लिए है जो उस सर्वज्ञ और सर्वव्यापी परम आत्मा के समीप जाना चाहता है। महाराज जी का सच्चा भक्त बनना चाहता है महाराज जी के लिए सच्चे भाव जगाना चाहता है।


यदि वे इस मार्ग पर चलते हैं तो अपने जीवन के उतर - चढ़ाव में वे महाराज जी को अपने निकट पाएंगे। तदुपरांत उनके जीवन में शांति होगी उनका कल्याण निश्चित है सब भाव का खेल ही तो है।


महाराज जी सबका भला करें


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