सबके दुख से दुखी, सबके सुख से सुखी-तब भगवान खुश रहते हैं
सबके दुख से दुखी, सबके सुख से सुखी-तब भगवान खुश रहते हैं।
ऐसा काम करो, भगवान खुश रहें-आशीर्वाद हो गया।
महाराज जी हम भक्तों को ईश्वर को प्रसन्न करने का एक और मार्ग दिखा रहे हैं जो लगता तो सरल है लेकिन हममें से बहुत से लोग जो किसी ना किसी अहंकार से ग्रसित हैं उनके लिए जटिल सिद्ध हो सकता है।
हाँ ये निश्चित है कि यदि हम ऐसा बन सकें तो फिर परम-पिता परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए और कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं है!!
ऐसा सबके दुःख में दुखी और सबके सुख में सुखी बनने की ईमानदार कोशिश से हम अपने अहंकार पर भी काफी हद तक अंकुश लगा पाएंगे !! तदुपरांत क्रोध कम आएगा। दूसरों से अपनी तुलना नहीं करेंगे। और फिर:
- हम परमात्मा के कृपा- पात्र बन पाएंगे।
- हमें महाराज जी का आशीर्वाद भी मिलेगा।
- हमारे जीवन में शांति आएगी।
हमें महाराज जी के भक्तों इससे अधिक उनसे क्या चाहिए भला ….. अतः ये कोशिश तो करने लायक ही है
महाराज जी सबका भला करें।