संस्कृत भाषा हमारी वैचारिक परम्परा, जीवन दर्शन, मूल्यों व सूक्ष्म चिन्तन की वाहिनी है - राज्यपाल


लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 संस्कृत भाषा के सन्दर्भ में परिचर्चा’ विषयक वेबिनार को राजभवन से वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कृत वस्तुतः हमारी संस्कृति का मेरूदण्ड है, जिसने सहस्त्रों वर्षों से हमारी अनूठी भारतीय संस्कृति को न केवल सुरक्षित रखा है, बल्कि उसका संवर्धन तथा पोषण भी किया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत अपने विशाल साहित्य, लोक हित की भावना तथा उपसर्गों के द्वारा नये-नये शब्दों के निर्माण क्षमता के कारण आज भी अजर-अमर है। यह भाषा हमारी वैचारिक परम्परा, जीवन दर्शन, मूल्यों व सूक्ष्म चिन्तन की वाहिनी है।


राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत भाषा को नई शिक्षा नीति में विशेष स्थान प्राप्त हुआ है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत संस्कृत की प्रासंगिकता को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में अब त्रिभाषा सूत्र चलेगा। इसमें संस्कृत के साथ तीन अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प होगा। इससे आज की युवा पीढ़ी संस्कृत भाषा के अध्ययन-अध्यापन से लाभान्वित होगी।


श्रीमती पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 के सम्पूर्ण क्रियान्वयन एवं सफलता का उत्तरदायित्व शिक्षकों एवं ज्ञानसाधकों पर है। उन्होंने कहा कि इस नीति में सराहने लायक ढेर सारी बातें हैं, जिनका देश को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिहाज से कौशल संपन्न बनाने पर केद्रित है।


शिक्षकगणों का आह्वान करते हुए राज्यपाल ने कहा कि वे खुली विचारधारा के साथ इसमें विद्यार्थियों का सहयोग करेंगे तो हम एक नई कार्य संस्कृति बनाने में अवश्य सफल होंगे। वैश्विक मांग के अनुसार युवाओं को कौशल सम्पन्न और दक्ष बना सकेंगे। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलती तकनीकी दुनिया में एक ही व्यवसाय में जीवन भर टिका रहना अब सब के लिए संभव नहीं है। नीति का यह पहलू युवाओं को निरंतर कौशल उन्नयन और परिवर्तन के लिए सक्षम बनाएगी।


राज्यपाल ने कहा कि नीतियों के क्रियान्वयन के लिए शिक्षित और कुशल मानव-शक्ति की आवश्यकता होती है, जिन्हें शिक्षा व्यवस्था तैयार करती है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति, आर्थिक संपन्नता और सुरक्षा का आधार उसकी शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता, गतिशीलता और हर प्रकार के परिवर्तन के सार तत्व को अपने में समाहित कर सकने की क्षमता पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी नई शिक्षा नीति-2020 का सफल क्रियान्वयन अध्यापकों की कार्य कुशलता एवं योग्यता पर निर्भर करेगा, क्योंकि अध्यापक ही कक्षा में बैठे विद्यार्थियों को तराशने का काम करते हैं।


इस अवसर पर उत्तर प्रदेश भाषा विभाग के प्रमुख सचिव जितेन्द्र कुमार, उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठानम् के न्यासी सचिव पद्मश्री चमूकृष्णशास्त्री, संस्कृत भारती के प्रमुख डाॅ0 संजीव राय एवं अन्य गणमान्य लोग भी आनलाइन जुड़े हुए थे।


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