विवेक बुद्धि की समझ है


विवेक धैर्य में पहले विवेक को रखा और बाद में धैर्य को रखा। पहले बुद्धि में सूझ अर्थात समझ होनी चाहिये। 


जब बुद्धि में समझ हो तब उसका स्वीकार हो और जब स्वीकार हो तो जीवन में समन्वय हो। विवेक बुद्धि की समझ है। धैर्य की समझ स्वीकार है और आश्रय की समझ समन्वय है। 


इस बुद्धि में बहुत सारा कचरा है अतः बुद्धि को साफ करना है। इस बुद्धि के अंदर काजल भरा हुआ है। इस सबसे बुद्धि को स्वच्छ करना है। जब बुद्धि स्वच्छ होगी तो मन पर नियंत्रण होगा।


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