अहिंसा का मतलब केवल किसी के प्राणों का रक्षण ही नहीं बल्कि प्रण और उसूलों का रक्षण करना भी है


अहिंसा का मतलब केवल किसी के प्राणों का रक्षण ही नहीं किसी के प्रण का और किसी के उसूलों का रक्षण करना भी है। अहिंसा अर्थात वो मानसिकता जिसमे प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार हो।


किसी व्यक्ति को अपनी इच्छा का कर्म करने का अधिकार मिले चाहे ना मिले पर अपनी इच्छा को अभिव्यक्त करने का अधिकार जरूर होना चाहिए। जीवन ऐसा कदापि ना हो जिसमें कोई अपने विचारों को भी प्रगट ना कर सके। 


अहिंसा का सम्बन्ध किसी के शरीर को आघात पहुँचाने से ही नहीं किसी के दिल को आघात पहुँचाने से भी है। किसी के दिल को दुखाना भी बहुत बड़ी हिंसा है। गोली से तो शरीर जख्मी होता है आदमी की ख़राब बोली से आत्मा तक हिल जाती है। अतः अहिंसा केवल शस्त्र त्याग में ही नहीं विचार और बोली और व्यवहार में भी रखना परमावश्यक है।


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