ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिण्डोला में बाबा बुड्ढा जी के जन्मोत्सव पर कीर्तन-गायन कर किया गया भक्तों को निहाल


लखनऊ। आज श्री गुरु सिंह सभा ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिण्डोला, लखनऊ में बाबा बुड्ढा जी के जन्मोत्सव पर सुखमनी साहिब जी के पाठ के उपरान्त हजूरी रागी जत्था भाई हरप्रीत सिंह जी ने अपनी मधुर वाणी में शबद कीर्तन गायन कर साध संगत को निहाल किया उसके उपरान्त मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने बाबा बुड्ढा जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबा बुड्ढा जी सिख धर्म में एक प्रमुख व्यक्ति थे।


उनका जन्म 1506 में अमृतसर के कथ्थूनागल गाँव में हुआ था। एक बच्चे के रूप में, अपने गांव के बाहर मवेशियों को चराने के दौरान, वह श्री गुरु नानक देव जी से मिले। उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी से जीवन और मृत्यु के संबंध में कई प्रश्न पूछे, उनकी छोटी सी उम्र में, श्री गुरु नानक देव जी ने उन्हें बुड्ढा नाम से आशीर्वाद दिया, जैसे कि वे एक बड़े बुजुर्ग थे। वह श्री गुरु नानक देव जी के शुरुआती सिखों में से एक थे। उन्होंने पांच सिख गुरुओं श्री गुरु अंगद देव जी, श्री गुरु अमरदास जी, श्री गुरु रामदास जी, श्री गुरु अर्जुन देव जी और श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी को भी गुरता गद्दी तिलक और मीरी और पीरी की दो तलवारें धारण करवाई।


1604 को श्री हरिमंदिर साहिब में सिख ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ की स्थापना पर, बाबा बुड्ढा जी को श्री गुरु अर्जन द्वारा पहला ग्रन्थी नियुक्त किया गया। 1606 को श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत के बाद, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने श्री अकाल तख्त साहिब के निर्माण का आदेश दिया और इसके निर्माण की जिम्मेदारी बाबा बुडढा जी और भाई गुरदास को सौंपी। सिख गुरुओं के जीवनकाल के बाद, बाबा बुड्ढा जी का 125 वर्ष की आयु में 1631 में रमदास गांव में, रावी नदी के तट पर स्वर्गवास हो गया। दीवान की समाप्ति के उपरान्त लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने नगरवासियों को बाबा बुड्ढा जी के जन्मोत्सव की बधाई दी। उसके उपरान्त श्रद्धालुओं में कड़ाह प्रसाद वितरित किया गया।


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