महिला सम्मान नहीं राजनीतिक जमीन की तलाश में है विपक्ष


जब से प्रदेश सरकार ने महिला अपरााधों के प्रति बेहद कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है तब से प्रदेश मेें महिला अपराधों विशेषकर रेप ,गैंगरेप और मर्डर की अचानक से बाढ़ आ गयी है। जिसमेे हाथरस और बलरामपुर की घटना निश्चय ही सभ्य समाज के लिए बेहद हृदय विदारक, दुखदायी व दर्दनाक है। वहीं सबसे बड़ी बात यह है कि महिला सुरक्षा और आरोपियों को कड़ा दंड देने के नाम पर जिस प्रकार की ओछी राजनीति की जा रही है वह भी बेहद शर्मनाक व नेताओं के चरित्र पतन का द्योतक है। हाथरस की बिटिया को इंसाफ दिलाने की मांग अब जातिवाद के आधार पर प्रदेश मेें अपनी जमीन खो चुके तथाकथित राजनैतिक दल अपनी राजनीति चमकाने का हथियर बना चुके हैं।


निःसंदेह हाथरस की घटना शर्मनाक है तथा इस दुखद घटना में हाथरस जिले केे प्रशासन का रवैया भी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा है जिसमें सबसे अधिक शर्मनाक स्थिति यह रही कि हाथरस के पुलिस प्रशासन ने पीड़िता का अंतिम संस्कार देर रात ही कर डाला। जिसने आग में घी डालने का काम कर डाला और आज परिणाम सामने है। वहीं जब प्रदेश सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी को सौंप दी है और पीड़ित परिवार को 25 लाख रूपये की आर्थिक सहायता देने घर व नौकरी देने का भी आश्वासन दिया तथा सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है और साथ ही मामले की सुनवाई्र फास्ट ट्रैक कोर्ट मेें कराने का निर्णय लिया गया हेै उसके बाद भी केवल दलित बालिका के नाम पर  राजनीति चमकाने के लिए इस प्रकार का विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है जो पूरी तरह से निंदनीय है। आज कांग्रेस व विरोधी दल दलित की बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए  आंदोलनरत हैं तथा उन्हें आंदोलन करने का अधिकार भी है हम भी इंसाफ के लिए उन सभी बेटियों के परिवारों के साथ हैं जिन परिवारों के साथ इस प्रकार की दुखद घटनायें घट रही हैं लेकिन विपक्ष को भी अपने गिरेबां में झाँक कर देखना होगा कि क्या वह दिल से समाज में घट रही विभत्स घटनाओं का विरोधी है या फिर केवल अपनी राजनीति को चमकाने के लिए मीडिया के सामने  पैदल चला और पुलिस से भिडने के नाम पर जबर्दस्ती धक्का मुक्की करकेे झाडियों के बीच जाकर गिरा।


अब कांग्रेस व विरोधी दलों के नेता अपनी राजनीति को चमकाने के लिए हाथरस पर्यटन पर उतर आये हैं तथा दलितों व महिलाओं के हक मेें ओछी व दिखावटी राजनीति का प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा टिवटर पर सक्रिय होकर प्रदेश सरकार को नैतिक रूप से भ्रष्ट बता रही हैं जबकि नैतिक रूप से सर्वाधिक भ्रष्ट आचरण गांधी परिवार का ही रहा है।


कांग्रेस का आज का गांधी परिवार पूरी तरह से केवल स्टंट की राजनीति करने के लिए हाथरस गया था लेकिन आज सोशल मीडिया की तेज गति और मीडिया के कैमरों के आगे आंदोलनकारियों की सारी सच्चाई आम जनता के सामने आ चुकी है। जब मीडिया के कैमरे के सामने राहुल गांधी गिरे तथा उसके बाद ही पूरी की पूरी कांग्रेस प्रदेश सरकार पर हमलावर हो गयी तथा सोशल मीडिया में झूठे एसएमएस संदेशों की बाढ़ आ गयी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना रावण से की जाने लगी तथा ऐसे ही अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया जाने लगा कि उससे यह साफ हो गया कि यह आंदोलन नहीं था अपितु मीडिया में बने रहने के लिए 2022 के पहले गांधी परिवार के भाई बहिन का यह नाटक था जो नाकाम हो चुका था। राहुल गांधी ने गिरकर महिलाओं के मन में अपने प्रति सहानुभूति बटोरने और दलितोें के बीच  अपनी खोयी  जमीन को वापस पाने के लिये काफी अच्छा अभिनय किया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह भाई -बहन विदेशी दौरों में जब जाते हैं तब वहां से इस प्रकार की राजनीति करने का  प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए जाते हैं और जब वह प्राप्त हो जाता हैं, तब यहां आकर राजनीति करने लग जाते हैं।


विपक्ष की इस प्रकार की राजनीति केवल और केवल जातिवाद के विमर्श को बढ़ावा  देने के लिए की जाती हेै। आखिर दलित की बेटी ही अत्याचारों का शिकार क्यों हो रही हैं ? क्या सवर्ण समाज की बेटियां महिला अपराधों का शिकार नहीं हो रहीं। हाथरस की घटना में सभी आरोपी ठाकुर थे इसलिए इन जातिवादी दलों को जातिगत राजनीति करने का अवसर मिल गया। यह लोग  सरकार पर सरासर झूठे और अफवाह पर आधारित आरोप लगा रहे हैं कि गैंगरेप और मर्डर के आरोपियों को सत्ता का संरक्षण मिल रहा है। समाजवादी और बहुजन समाजवादी दल भी भाजपा पर हमलावर है। पलटवार करते हुए  भारतीय जनता पार्टी ने बसपा नेत्री मायावती पर आरोप लगा दिया है कि वह दलित महिलाओं की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। मायावती को दलित महिलाओं से दुष्कर्म के मामलों में अपने दिन याद करने चाहिए। मायावती सरकार में यह आदेश जारी किये गये थे कि दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म होने पर सीधे एफआईआर न दर्ज की जाये तथा पहले सीएमओ से जांच करायी जाये। बसपा के कई विधायक रेप कांड में फंसे थे।  समाजवादी सरकार में महिलाओें की सुरक्षा का बेहद बुरा हाथ था।


हाथरस की घटना बेहद शर्मनाक है लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने अपने राजनैतिक जीवन के इतिहास में पहली बार किसी दुखद अपराधिक घटना को संज्ञान में लिया और  प्रदेश के मुख्यमंत्री से कड़ेे कदम उठाने की बात कही उसके बाद ही राजनीति का पारा गरम होना तय हो गया था। जिसमें सर्वाधिक तेजी  गांधी परिवार ने दिखा डाली और उसी अंदाज में वह बेनकाब भी हो चुका है।


महिला सुरक्षा  के नाम पर यह सभी दल बहुत ही सतही व घटिया स्तर की राजनीति कर रहे हैं । दलित की बेटी के साथ हो रहे अत्याचारों को अपनी जातिगत राजनीति के आधार पर टुकडों टुकडा़ेें में बांट रहे है अगर गलती से आरोपी ठाकुर या ब्राहमण हो गया तो यह दल इस प्रकार की हरकते करने लग जाते हैं कि मानो भुूकम्प आ गया। लेकिन जब मुसलमान  आरोपी बन जाता है तब इनके मुंह पर ताला लग जाता है और  तथाकथित नाराीवादी दल मानवाधिकार की बातें करने वाले चुप हो जाते हैं। अभी जब कानपुर से लेकर हरदोई तक लव जेहाद के कई प्रकरण एक के बद एक सामने आ रहे थे उस समय जब सरकार ने इन मामलों की जांच शुरू करवायी तो यह सभी दल लव जेहाद के आरोपियों के साथ खड़े दिखलायी पड़ रहे थे। जब कोई्र दलित महिला लव जेहाद का शिकार होकर रेप व गैैंगरेप यहां तक कि धर्मांतरण का शिकार हो जाती है तब भी यह दल खामोश हो जाते हैं।  


अभी बुलंदशहर में दलित बेटी के साथ घटना घटी आरोपी रिजवान निकला , आजमगढ़ की घटना में आरोपी दानिश निकला , बलरामपुर की घटना में आरोपी चाचा और भतीजे निकले जिनका नाम शाहिद और शाहिल हैैं सभी आरोपी पकड़े जा चुके हैं। लेकिन अब बलरामपुर से खबर है कि इस मामले में कुल छह आरोपी थे जिनकी तलाश जारी है। सभी घटनाओं के के प्रति मुख्यमंत्री के कड़े निर्देश हैं आरोपियों को कड़ी सजा मिलेगी तथा आरोपियों की तस्वीरें चैराहों पर लगेंगी। इसी प्रकार कई घटनायें घट रही हैं लेकिन टुकड़े- टकड़े गैंग महिला सुरक्षा के नाम पर भी ब्रेकिंग इंडिया अभियान चला रहा है। राजस्थान मेें भी दलित बेटियोें के साथ घटना घटी वहां पर घटी घटनाओं के लिए कांग्रेस के नेता चुप हैं। राहुल गांधी के गिरने के बाद राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट टीवी पर बयान देने के लिये आ जाते हैं लेकिन अपने राज्य के हालात पर बयान नहीं देते। केरल से लेकर बंगाल तक और दक्षिण के सभी राज्यों में महिलायें लव जेहाद का शिकार हो रही हैं रेप, गैंगरेप व मर्डर किये जा रहे हैं लेकिन राहुल गांधी को इन राज्यों में किसी प्रकार कोई समस्या नहीं दिखलायी पड रही हैं।


हाथरस की घटना पर जिस प्रकार से पर्यटन की राजनीति की जा रही है वह एक प्रकार का नया दलित विमर्श व उसके आधार पर नयी राजनीति को खड़ा करने  का विमर्श पैदा किया जा रहा है। यह देश की सामाजिक समरसता, एकता अखंडता के लिये तथा देश के विकास व प्रगति के लिए बेहद शर्मनाक है। विरोधी दलों का यह नया विमर्श खंड -खंड पर आधारित है।  अगर दलित बेटी पर अत्याचार करने वाला आरोपी ठाकुर या पंडित है और  फिर मुख्यमंत्री भी अगर उसी समाज का है तो यह दल अपनी राजनीति को चमकाने के लिए मीडिया को साथ लेकर पैदल निकल पड़ते हैं। अगर दलित की बेटी पर मुस्लिम व ईसाई समाज के लोग अत्यचार करते हैं तो यह सभी  दल शांत होकर बैठ जाते हैं।


देश के सभी तथाकथित राजनैतिक दल हाथरस की घटना को बिहार विधानसभा  चुनाव तथा उपचुनावों में भाजपा के खिलाफ हवा बनाने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमल करेंगे । चुनावों में हाथरस घटना की गूंज अवश्य सुनायी देगी। जिसका असर कुुछ सीटों पर पड़ भी सकता है यही कारण है कि यह दल इस प्रकार से उछलकूद मचा रहे हैं। महिलाओं के प्रति अपराध पूरे भारत में हो रहे हैं।  आज आवश्यकता इस बात पर बहस करने की है कि आखिर देश में महिलाओें को पूर्ण सुरक्षा कब प्राप्त होगी। महिलाओं को केवल राजनीति का मोहरा बनाया जा रहा है। राजनीति व युद्ध के मैदान में महिला समाज एक आसान शिकार है। अतः देश के सभी राजनैतिक दलों को राजनीति करने के बजाय महिला सुरक्षा पर काम करना चाहिए और कानून को भी अपना काम करने देना चाहिये।


आज प्रदेश में एक बहतु ही अच्छी सरकार है जिसने महिला अपराधों की रोकथाम के लिए पहली बार कड़े कदम उठाने के लिए कई सराहनीय प्रयास किये हैं। जिनका विरोध भी यही दल कर रहे हैं।  चाहे वह लव जेहाद की जांच हो या फिर आरोपियों की चैराहों पर तस्वीरें लगाने की। आज हर दुखद घटना के आरोपी पकड़े जा रहे हैं। सभी दलों को शांत होकर बैठना चाहिये और सरकार व कानून के कदमोें का इंतजार करना चाहिये आरोपियों को सजा अवश्य मिलेगी। प्रदेश में कानून का राज है उसे ध्वस्त करने की साजिशें रची जा रही है। यह कामयाब नहीं होगी। प्रदेश सरकार ने हाथरस घटना के खिलाफ कड़े कदम उठाने शुरू भी कर दिये हैं। एसआईटी की जांच रिपोर्ट आते ही  हाथरस के एसपी , डीएसपी समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। घटना में शामिल सभी आरोपियों , बिटिया के परिजनों व पुलिसवालों का नार्को व पालीग्राफ टेस्ट  भी होगा जिससे सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। यह पहली बार हो रहा है कि इस प्रकार की घटना में ऐसा टेस्ट होने जा रहा है। वहीं अब सरकार को दबाव में लेने वाले राजनैतिक दल यह आरोप लगा रहे  हैं कि पीडित परिवार का टेस्ट क्यों करवाया जा रहा है , जिससे साफ प्रतीत हो रहा है कि जो लोग इंसाफ की मांग कर रहे हैं उनके दिल में भी चोर है।



(मृत्युंजय दीक्षित)


(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। इस आलेख में लेखक के अपने विचार हैं।)


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