मिशन शक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत चल रहे किर्याकलापों द्वारा सभ्य समाज के निर्माण का अवलोकन

लखनऊ। प्रदेश में व्यापक व सघन अभियान के रूप में चल रहे मिशन शक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत विश्वविद्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों, अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों एवं स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में शासन की मंशा के अनुरूप संपादित होने वाले क्रियाकलापों की श्रृंख्ला में छात्र-छात्राओं व अभिभावकों की सम्मिलित सहभागिता के परिणाम स्वरूप मिशन शक्ति कार्यक्रम अपने लक्षित उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में त्वरित रूप से अग्रसर हो रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्व दिवसों की भांति अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं द्वारा ली जाने वाली शपथ का कार्यक्रम संपन्न हो रहा है। जिसमें अभिभावकों द्वारा पुत्र-पुत्री के मध्य भेद न करते हुये संतानों को नैतिक मूल्य से संपृक्त व अनुशासित करने की प्रतिज्ञा एवं छात्रों द्वारा नारी सुरक्षा, सम्मान व अवसर के प्रति सर्वतोभावेन प्रतिबद्धता की शपथ लेने का क्रम जारी है। आॅनलाइन व्याख्यान मालाओं, निबंध, स्लोगन, पोस्टर प्रतियोगिताओं के आयोजन हुए है। जिनके विषय महिला सुरक्षा, महिला स्वास्थ्य व पोषण लैंगिक समानता इत्यादि रहे। आत्मरक्षा हेतु आॅनलाइन मार्शल आर्ट का धारावाहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संपन्न हुआ। मनोवैज्ञानिक परामर्श कार्यक्रमों में अनेकानेक छात्राओं को लाभान्वित होने का अवसर मिला है।


उक्त सभी क्रियाकलापों में विश्वविद्यालयों व महा विद्यालयों की राष्ट्रीय सेवा योजना, रोवर्स-रेंजर्स, नेशनल कैडिट कोर के प्रभारियों एवं कार्यकर्ताओं सहित शारीरिक शिक्षा विभाग के प्राध्यापकों ने उल्लेखनीय भूमिका का निर्वहन किया है। इन समस्त क्रियाकलापों का निदेशक, उच्च शिक्षा, विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव, विभिन्न क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, महाविद्यालयों के प्राचार्य सतत निगरानी व मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं जिनकों माननीय उप मुख्यमंत्री एवं अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा द्वारा अवलोकित व समीक्षित किया जा रहा है।


विगत दिवसों में मिशन शक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत चल रहे क्रियाकलापों का अवलोकन व समीक्षा करते हुए मा0 उप मुख्यमंत्री ने मिशन शक्ति के सफल होने के मूल में नारी शिक्षा को एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में रेखांकित किया। उनके अनुसार मिशन शक्ति के अंतर्गत चल रहे विविध कार्यक्रमों के वास्तविक रूप से फलीभूत होने की परिस्थिति का निर्माण नारी शिक्षा के अभाव में संभव नहीं। शिक्षित नारी ही स्वयं एवं समाज की सुरक्षा के उपायों के संदर्भ में सचेतन रूप में क्रियाशील हो सकती है। एक सभ्य समाज का निर्माण उस देश के शिक्षित नागरिकों द्वारा होता है और नारी इस कड़ी का अहम हिस्सा है।  परिवार की छोटी-छोटी इकाइंया मिल कर एक समाज का गठन करती है, और परिवार की केंद्र बिंदु नारी होती है। यदि एक नारी शिक्षित होती है तो एक परिवार शिक्षित होता है और जब एक परिवार शिक्षित होता है तो पूरा राष्ट्र शिक्षित होता है। इसलिए किसी ने ठीक ही कहा है कि जब आप एक पुरूष को शिक्षित करते हैं तो एक पीढ़ी शिक्षित होता है किन्तु जब आप एक स्त्री को शिक्षित करते हैं तो एक पीढ़ी शिक्षित हो जाती है।


जहां तक शिक्षा का प्रश्न है तो यह नारी व पुरूष दोनों को समाज रूप से लाभान्वित करती है। नारी शिक्षा का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि यह देश की भावी पीढ़ी को योग्य बनाने के कार्य में उचित मार्गदर्शन करती है। बच्चे सर्वाधिक माताओं के सम्पर्क में रहते हैं। शिक्षित माता ही बच्चों के कोमल मन मस्तिष्क में उन समस्त संस्कारों के बीज बो सकती है जो आगे चलकर अपने समाज, देश और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण है।


नारी का महत्व बच्चो के पालन-पोषण के अतिरिक्त अपने घर परिवार की व्यवस्था और संचालन करना होता है। एक शिक्षित और विकसित मन मस्तिष्क वाली नारी अपनी आय, परिस्थिति, घर के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकता का ध्यान रखकर व्यवस्था और संचालन कर सकती है। विश्व की प्रगति शिक्षा के बल पर ही चरम सीमा तक पहुॅच सकती है यदि नारी जाति अशिक्षित हो तो वह अपने जीवन को विश्व की गति के अनुकूलन बनाने में सदा असमर्थ रहती है। वह शिक्षित हो तो परिवार, देश समाज और राष्ट्र की प्रगति में पुरूषों के साथ कन्धे से कन्धा चलने में समर्थ हो जाती है।


भारतीय समाज में शिक्षित माता गुरू से भी बढ़कर मानी जाती है क्योंकि वह अपने पुत्र को महान से महान बना सकती है। सामाजिक बुराइयों, कुरीतियों को दूर करने के लिए  नारी शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। सुशिक्षा द्वारा नारी जाति समाज में फैली कुरीतियों व कुप्रभावों को मिटाकर अपने सामाजिक स्थिति को स्वयं ऊपर उठा सकती है।


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