भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से ज्यादा उम्मीदें कर सकती है निराश

 



भारत-अमेरिका सम्बंध और नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 


इस देश की जनता ने हमें एक स्पष्ट जीत दी है। हम राष्ट्र के इतिहास में राष्ट्रपति टिकट पर अब तक के सबसे अधिक वोटों से जीते हैं, 74 मिलियन। मैं ऐसा राष्ट्रपति बनने की प्रतिज्ञा लेता हूं जो तोड़ने के बजाय जोड़ने का काम करेगा - (जो बाइडेन, अमेरिकी राष्ट्रपति)


लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करना होता है, बलिदान देना होता है, लेकिन उसमें आनंद और प्रगति होती है क्योंकि हमारे पास बेहतर भविष्य बनाने की शक्ति है- (कमला हैरिस, अमेरिकी उपराष्ट्रपति)


जो बाइडेन का पूरा नाम जोसेफ जो बाइडेन हैं, बाइडेन की उम्र 77 वर्ष की है। जो बाइडेन का जन्म नवंबर 1942 में हुआ था, तब भारत में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन' चल रहा था। बाइडेन सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लॉ के स्नातक हैं, स्नातक करने के एक साल बाद डेलावेयर बार परीक्षा पास की है। उन्होंने काउंटी परिषद के लिए काफी अभ्यास किया। अमेरिकी सीनेट में रहते हुए, बाइडेन ने न्यायपालिका समिति और विदेशी संबंध समिति में सेवा की, कानून और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में एक महत्वपूर्ण अनुभव का निर्माण किया।


जो बाइडेन का जीवन परिचय 


नाम: जोसेफ जो बाइडेन
पत्नी: नेलिया (निधन)
बेटी: नाओमी (निधन)
बेटा: बीयू (निधन) और हंटर
दूसरी पत्नी: जिल जैकब्स
कमाई: 15 मिलियन (अनुमानित)


जो बाइडेन की पहली पत्नी नेलिया बेटी नाओमी की 1972 में कार दुर्घटना में मौत हो गई। उनके दो बेटे हैं हंटर और ब्यू। डेमोक्रेटिक राइजिंग स्टार ब्यू की 46 साल की उम्र में 2015 में ब्रेन कैंसर से मृत्यु हो गई। जो बाइडेन ने पांच साल बाद 1977 में जिल जैकब्स से शादी कर ली। अमेरिका के राष्ट्रपित जो बाइडेन की कुल संपत्ति की बात करें तो, 2019 में जारी वित्तीय दस्तावेजों के अनुसार, बाइडेन और उनकी पत्नी की कुल कमाई 15 मिलियन यूएस डॉलर से अधिक है।बाइडेन काफी अनुभवी हैं, बाइडेन ने अमेरिकी सीनेट में छह कार्यकाल और उपराष्ट्रपति के रूप में दो कार्यकाल के लिए कार्य किया है। 


भारत बाइडेन को लेकर दो मतों में बटा हुआ है, एक धड़ा बाइडेन को सही और दूसरा गलत मानता है। बाइडेन के बयानों के अनुसार, वह जम्मू कश्मीर और एनआरसी-सीएए के कारण भारत से असंतुष्ट हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फॉरेन पॉलिसी को लेकर बाइडेन का नजरिया बिलकुल अलग है। एक दूरदर्शी नेता होने के नाते बाइडेन अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को काफी गहराई से देखते हैं, किसी देश की आंतरिक नीति में वह ज्यादा दखल नहीं देते, जबकि ट्रम्प भारत का साथ देते हुए, कई बार भारत को नुक्सान पहुंचाया है। ऐसे में बाइडेन काफी सोच समझकर फैसला करने में यकीन करते हैं।


ट्रम्प का कार्यकाल भारत के लिए काफी लाभदायक साबित नहीं हुआ। भारतीय उत्‍पादों पर अधिक टैरिफ, H-1B वीजा रोकना और कश्‍मीर मुद्दे पर ट्रम्प के बयानों ने भारत को काफी नुक्सान पहुँचाया है, जबकि बाइडेन ट्रम्प से बिलकुल अलग सोच रखते हैं, वह विदेशी नीति को ज्यादा बेहतर समझते हैं। कुछ वक्त पहले जब भारत ने अपना स्वतंत्रता दिवस मनाया, तब जो बाइडेन ने एक संदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने भारत के साथ संबंधों को लेकर अपने विचार व्यक्त किए थे।


अपने संदेश में जो बाइडेन ने कहा था, ‘मैंने सीनेटर और उपराष्ट्रपति के तौर पर भारत के साथ काम किया है, मैंने पहले भी कहा था कि अगर अमेरिका और भारत एक गहरे दोस्त बनते हैं तो पूरी दुनिया सुरक्षित हो जाएगी।’ जो बाइडेन ने कहा था कि अगर वो राष्ट्रपति बनते हैं तो वो दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत बनाने की ओर काम करेंगे, दोनों देशों के बीच ट्रेड को बराबरी पर लाएंगे। क्लाइमेट चेंज समेत दुनिया के अन्य अहम मुद्दों पर भी दोनों देश मिलकर आगे बढ़ेंगे


डेमोक्रैट कैंडिडेट जो बाइेडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बन गए हैं। जो बाइडेन भारत के लिए कोई नया चेहरा नहीं हैं। वह 8 साल तक बराक ओबामा के डेप्‍युटी रहे हैं। उप-राष्‍ट्रपति कमला हैरिस की मां भारतीय हैं। भारत के लिहाज से देखें तो कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां वे वर्तमान राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के ढर्रे पर चलेंगे। कुछ में वे बदलाव कर सकते हैं। 21वीं सदी में भारत और अमेरिका के रक्षा, रणनीतिक और सुरक्षा संबंध मजबूत हुए हैं, फिर राष्‍ट्रपति की कुर्सी पर चाहे रिपब्लिकन बैठा रहा हो या डेमोक्रेट। यही ट्रेंड बाइडेन प्रशासन में भी बरकरार रहने के आसार हैं, लेकिन चीन को लेकर बाइडेन कैंप में भी दो धड़े हैं, जिसका असर भारत पर पड़ सकता है। 


बाइडेन ने अपने चुनाव प्रसार के दौरान भारतीय-अमेरिकियों से संपर्क किया है। वह भारत के लिए उदार सोच रखते हैं। चूंकि अमेरिका और भारत के रिश्‍ते अब संस्‍थागत हो चले हैं, ऐसे में उसमें बदलाव कर पाना मुश्किल होगा। बाइडेन के प्रमुख रणनीतिकार एंथनी ब्लिंकेन कह चुके हैं, "हम एक जैसी वैश्विक चुनौतियों से बिना भारत को साथ लिए नहीं निपट सकते....भारत के साथ रिश्‍तों को मजबूत और गहरा करना हमारी उच्‍च प्राथमिकता में रहने वाला है।"


बाइडेन प्रशासन और भारत के बीच रक्षा, रणनीतिक और सुरक्षा संबंध उसी तरफ आगे बढ़ने की संभावना है जो दिशा 2000s से पकड़ी गई है। टीम बाइडेन में चीन को लेकर मतभेद हैं। इसका असर भारत-अमेरिका और भारत-चीन के रिश्‍तों पर भी देखने को मिलेगा। बाइडेन के कुछ सलाहकारों ने चीन को लेकर ट्रंप जैसी राय रखी है। बाकी कहते हैं कि अमेरिकी और चीनी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को अलग करना नामुमकिन है, ऐसे में राष्‍ट्रीय सुरक्षा और क्रिटिकल टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में अलगाव हो सकता है, इससे ज्‍यादा कुछ नहीं।


बाइडेन कैम्‍पेन में इंडो-पैसिफिक को लेकर रणनीति साफ नहीं की गई है। चूंकि यह इलाका भारतीय विदेश नीति के केंद्र में है, इसलिए इसपर नजर रखनी ही पड़ेगी।


भारत और अमेरिका के व्‍यापारिक रिश्‍तों में परेशानी रहेगी, चाहे सत्‍ता में कोई भी हो। ओबामा प्रशासन के दौरान भी नई दिल्‍ली और वाशिंगटन में इस क्षेत्र को लेकर तनातनी रहती थी। बाइडेन प्रशासन में भी भारत को व्‍यापार में कोई खास छूट मिलने के आसार नहीं हैं। इसके अलावा बाइडेन का 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का अपना वर्शन भी है। बाइडेन के टॉप एडवाइजर बिल टर्न्‍स कह चुके हैं कि ''अमेरिकी विदेश नीति को सबसे पहले घरेलू बाजार को दोबारा खड़ा करने का समर्थन करना ही चाहिए।"


बाइडेन प्रशासन भारत में मानवाधिकार उल्‍लंघन पर नजर रख सकता है। इसके अलावा हिंदू बहुसंख्‍यकवाद, जम्‍मू और कश्‍मीर का भी संज्ञान लिया जा सकता है। डेमोक्रेट्स से भरी कांग्रेस में भारत के खिलाफ ऐसी चीजों पर पैनी नजर रह सकती है। बाइडेन ने ही प्रस्‍ताव दिया था क‍ि अमेरिकी सेनाअफगानिस्‍तान में केवल काउंटर-टेररिज्‍म के लिए ही रहे। ऐसे में ट्रंप ने सैनिकों को वापस बुलाने का जो आदेश दिया था, उसके वापस लिए जाने की संभावना कम ही है।


H-1B वीजा के पुराने रूप में लौटने की संभावना न के बराबर है। हालांकि इससे भारतीयों पर असर पड़ सकता है लेकिन महामारी ने जिस तरह से रिमोट वर्किंग को बढ़ावा दिया है, उससे वह असर कम होने की उम्‍मीद है। बाइडेन निश्‍चित रूप से अमेरिका को वापस पेरिस जलवायु समझौते का हिस्‍सा बनाएंगे, लेकिन भारत कोयला इस्‍तेमाल को लेकर बाइडेन के सामने घिर सकता है। ऐसे में बाइडेन भारत-अमेरिका के रिश्तों को बेहतर बना सकते हैं। लेकिन बाइडेन से भारत को बहुत ज्यादा उम्मीदें भी नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि बाइडेन भारत को लेकर अमेरिका की नीतियों में बदलाव नहीं करेंगे, लेकिन बाइडेन के पूर्व बयानों के अनुसार, वह भारत-अमेरिका के संबंधों को काफी महत्वपूर्ण मानते हैं। 


जो बाइडेन भारत को अमेरिका के लिए 'प्राकृतिक साझेदार' मानते हैं। ओबामा के समय में भारत-अमेरिका के संबंध बेहतर हुए, ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि बाइडेन के कार्यकाल में भारत-अमेरिका के संबंध औसत दृष्टि से ठीक रहेंगे। कमला हैरिस की जीत के बाद तमिलनाडु के तिरुवर जिले थुलासेंद्रापुरम गांव में जश्न का माहौल है। कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन इसी गांव की रहने वाली थीं, इस गांव में रंगोली बनाई जा रही है और उन्हें बधाई दी जा रही है। 56 साल की कैलिफोर्निया की सीनेटर कमला हैरिस तीन एशियाई अमेरिकी सीनेटरों में से एक हैं। वो इस चैंबर में आने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी सीनेटर हैं।


अमेरिकी उप राष्ट्रपति बनने वाली पहली अश्वेत अमेरिकी महिला हैरिस के पति डगलस एमहॉफ (Doug Emhoff) भी एक अनूठा ​कीर्तिमान रचेंगे। अमेरिका में पहली बार 'सेकंड जेंटलमैन' वो व्यक्ति होगा, जो सरकार में किसी पद पर नहीं होगा। जब हैरिस पद की शपथ लेंगी, तब एमहॉफ अमेरिका के दूसरे पुरुष नागरिक (Second Gentleman of US) कहलाएंगे।


राष्ट्रपति की पत्नी प्रथम महिला और उप राष्ट्रपति की पत्नी देश की दूसरी महिला कहलाती रही है, लेकिन पहली बार उपराष्ट्रपति पद पर महिला काबिज़ होगी, इसलिए एमहॉफ दूसरे पुरुष नागरिक होंगे।  यहूदी माता पिता के बेटे एमहॉफ के नाम यह भी दर्ज होगा कि वह अमेरिका में पहले यहूदी हैं, जो सेकंड जेंटलमैन होंगे। यह उसी तरह गौरव की बात है, जिस तरह कमला हैरिस वो भारतीय मूल की महिला हैं, जो पहली अमेरिकी उपराष्ट्रपति होंगी। कमला हैरिस का जन्म 20 अक्टूबर 1964 में केलिफोर्निया के ऑक्लैंड में हुआ। हैरिस के पिता डोनाल्ड हैरिस अफ्रीकी (जमैका से) और मां श्यामला गोपालन भारतीय हैं। हैरिस की मां श्यामला स्तन कैंसर विशेषज्ञ थीं। वह यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले में डॉक्टरेट करने के लिए 1960 में तमिलनाडु से अमेरिका आ गई थीं। 


उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस स्टैनफोर्ड विश्ववविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं। वह अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने जमैका से अमेरिका पहुंचे थे। जानकारी के मुताबिक,जब अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन हो रहा था तब हैरिस के माता-पिता ऑकलैंड की गलियों में न्याय के लिए रैलियां करने के दौरान छात्रों के तौर पर एक दूसरे से मिले। हैरिस को उनके  माता-पिता स्ट्रॉलर में अच्छे से बांधकर प्रदर्शनों में साथ ले जाते थे। हैरिस ने कानून की पढ़ाई की है और अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट के शब्दों को हकीकत में बदलने और कानून के तहत समान न्याय के लिए हैरिस ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।  भारतीय मूल की सीनेटर कमला हैरिस ने अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार चुने जाने के बाद अपने पहले भाषण में अपनी मां श्यामला गोपालन को याद किया। हैरिस ने कहा कि उनकी मां की उनके जीवन में अहम भूमिका है। हैरिस ने कहा, ‘‘मेरी मां श्यामला ने मुझे और मेरी बहन माया को सिखाया कि आगे बढ़ते रहना हमारे और अमेरिका की हर पीढ़ी पर निर्भर करता है। उन्होंने हमें सिखाया कि केवल हाथ पर हाथ रखकर मत बैठो और चीजों के बारे में शिकायत मत करो, बल्कि कुछ करके दिखाओ।’’ जो बाइडेन जी और कमला हैरिस जी को प्राप्त विजयश्री के क्रम में उन्हें हमसभी को ओर से बधाई व शुभकामनाये। हम आशा करते हैं कि आप द्वारा भारत-अमेरिका सम्बन्ध प्रगति के नए द्वार खोलेंगे और हम साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे।


-निखिलेश मिश्रा


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