भक्तों के संकट हरते हनुमान जी


रामायण युग में दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण रामभक्त हनुमान जी को कौन नहीं जानता और कौन नहीं समझता है। रामभक्त हनुमान जी सर्वगुण सम्पन्न ,बाल ब्रहमचारी, हर प्रकार के कठिन से कठिन कार्य को करने के लिए सदा तत्पर रहने वाले हनुमान जी। हनुमान जी एक ऐसे महान देवता हैं जो आज कलयुग के निराषावादी जीवन में भी उत्साह का संचार करते रहते हैं। हनुमान जी कलयुग में आज भी आदर्ष जीवन कैसे जिया जाये इसकी प्रेरणा प्रदान करते हैं। हनुमान जी के जन्म का उल्लेख अगस्त्य संहिता मेें हुआ है। दूसरी ओर चैत्र मास की एकादषी और पूर्णिमा पर भी हनुमान जी के जन्म के प्रमाण मिलते हैं। हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की विषेष पूजा अर्चना की जाती है। जिससे कई गुना लाभ सभी भक्तों को मिलता है। हनुमान जयंती के अवसर पर हनुमान जी के सभी मंदिरों को बेहद भव्य तरीके से सजाया जाता है। हनुमान जयंती पर उनका षोडपोचार पूजन तथा श्रृगं्रार किया जाता है। हनुमान जी कलयुग में आज के वातावरण में भी एक सर्वश्रेष्ठ संकटहर्ता हैं । परिवारों के बड़ें- बुजुर्ग भी जब उनके बच्चे निराषावाद में चले जाते हैं तब वे अपने बच्चों को हनुमान जी की षरण में जाने को कहते हैं क्योंकि हनुमान जी का चित्र देखने मात्र से ही सभी प्रकार की निराषा दूर होने लगती है। वैसे भी उल्लेख मिलता है कि जब हनुमान जी कभी- कभी निराष होने लगते थे तब वे स्वयं अपने प्रभु श्रीराम की षरण में चले जाते थे। इसी कारण एक गीत गुनगुनाया भी जाता है कि,“ हनुमान जी न चले श्रीराम के बिना और श्रीराम जी न चलें हनुमान के बिना।”


हनुमान जी को अंजनीपुत्र, पवनसुत,श्षंकर सुवन, केसरीनंदन ,आदि नामों से भी जाना जाता है। इसके साथ ही हनुमान जी को महाबल,रामेष्ट, फाल्गुनसखा (अर्जुन के मित्र), पिगांक्ष, अमितविक्रम, उदधिक्रमण (समुद्र को अतिक्रमण करने वाले), सीताश्षोक विनाषन ,लक्ष्मण प्राणदाता और दषग्रीवदर्पदा (रावण के घमंड को दूर करने वाला) भी कहा जाता है। हनुमान जी के बारह नाम उनके गुणों के द्योतक हैं।  वर्तमान काल में हनुमान जी की महती आवष्यकता है। आज का युवा  वर्ग दिषाहीन , दिग्भ्रमित , पष्चिमी सभ्यता के संस्कारों से ओतप्रोत होकर अपनी ओजस्विता को समाप्त कर रहा है। हनुमान जी के जीवन के प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से आज के युवा समुदाय को कलयुग की बुराईयों से बचाया जा सकता है। एक प्रकार से हनुमान जी जनदेवता माने गये हैं। हनुुमान जी अपने माता- पिता के अनन्य भक्त व उनके सेवक थे। हनुमान जी का आजन्म ब्रहमचर्य पालन आज केे युग में आदर्ष तथा सर्वथा अद्वितीय है। श्रीहनुमान चरित्र एक जीवन दर्षन है। हनुमान जी के चरित्र में शक्ति संचय, उसका सदुपयोग भगवान की भक्ति आदि का पूर्ण विकास होने के कारण व उनकी आराधना से इन गुणों की उपलब्धि युवकों एवं बालकों को हो सकेगी। यदि आज के युवा हनुमान जी के जीवन चरित्र को अच्छी तरह से समझें तो समाज की तमाम बुराईयों व निराषावादी वातावरण का सहज अंत हो जायेगा। हनुमान जी आज के युग के लिए एक श्रेष्ठ प्रबंधक गुरू भी साबित हो सकते है। उसका कारण है कि हनुमान जी अपने स्वामी श्रीराम जी के काम को समय पूरा करके दिखा दे देते थे फिर चाहे उनके मार्ग में जितनी कठिन समस्यायें ही क्यों न आयें। यही कारण है कि भगवान श्रीराम को हनुमान जी के प्रति विषेष लगाव हो गया था। भगवान श्रीराम हनुमान जी के प्रति विषेष कृपादृष्टि रखने लग गये थे। वे अपना हर कठिन से कठिन काम हनुमान जी को सौंपते थे और ऐसा करके वे निष्चिंत होकर आगे की कार्ययोजना बनाने लग जाते थे।


हनुमान जी आज भी जनमानस के संकटों को दूर कर रहे हैं तथा युवाओं व समाज के लिए अद्भुत प्रेरणास्रोत भी हैं। मान्यता है कि हनुमान जी बुद्धि, बल, वीर्य प्रदान करके भक्तों की रक्षा करते हैं। हनुमान जी के स्मरण से रोग, षोक व कष्टों का निवारण होता है। मानसिक कमजोरी व दुर्बलता के दौर में हनुमान जी का स्मरण करने मात्र से जीवन में नये उत्साह का संचार होता है। हनुमाजी के चरित्र की सबसे बड़ी विषेषता यह थी कि उनमें अहंकार रंचमात्र नहीं था वे सदा श्रीराम व उनके परिवार के सभी सदस्यों सहित अपने गुरू, माता- पिता तथा साधु -संतो के प्रति नतमस्तक रहते थे। आज के युवावर्ग व सत्ता प्रतिष्ठान में यह चीज नहीं रह गयी है। हनुमान जी ने जब माता सीता की खोज के लिए रावण के अंतःपुर में प्रवेष किया और रावण की स्त्रियों और उनकी सुंदरता को देखा तब भी उनका मन  व विचार स्खलित नहीं हुआ। जिसका वर्णन स्वयं हनुमान जी ने किया है। यह विचार आज के युवा वर्ग में जाना अत्यंत जरूरी है क्योंकि आज का युवा विदेषी सभ्यता के जाल में फंसता चला जा रहा है और अपनी संस्कृति से दूर होकर अपनी अवनति को बढ़ावा दे रहा है। हनुमान जी नारियों के प्रति सम्मान का भाव रखते थे। लेकिन आज के समाज में नारी सम्मान का भाव गिरता जा रहा है तथा समाज मेें नारी से सम्बंधित अपराधों में वृद्धि होती जा रही है।


हनुमान जी का जीवन चरित्र उच्च आदर्षों वाला था। उनका जीवन व भक्ति निःस्वार्थ थी। उन्हें देवताओं की ओर से वरदान प्राप्त थे। वे कलयुग के सबसे जाग्रत देवता हैं। हनुमान जी के लिए जितना भी लिखा जाये व समझा जाये बेहद  कम  होगा। हनुमान जी सच्चे अर्थों में आज भी समाज के लिए सच्चे पथप्रदर्शक हैं। 


(मृत्युंजय दीक्षित) 


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