श्री गुरु हरिक्रिशन जी का गुरु गद्दी दिवस मनाया गया


लखनऊ। सिखों के आठवें  गुरु साहिब श्री गुरू हरिक्रिशन जी का गुरू गद्दी दिवस श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिंडोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया जिसमें रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुरवाणी में शबद कीर्तन गायन कर समूह साध संगत को निहाल किया। ज्ञानी हरविन्दर सिंह जी ने साहिब श्री गुरु हरिक्रिशन साहिब जी के गुरु गद्दी दिवस पर प्रकाश डालते हुए बताया कि साहिब श्री गुरु हरिक्रिशन साहिब जी का जन्म आज ही के दिन कीरत पुर में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री हरिराय जी व माता का नाम कृष्ण कौर था। श्री गुरु हरिराय ने अपने बड़े बेटे को गद्दी न देकर अपने छोटे बेटे को श्री हरिक्रिशन जी में प्रभु भक्ति एवं गुणों को देखकर उन्हें ही गद्दी पर आसीन किया। आप सभी दस गुरुओं के सबसे छोटी उम्र में गुरु गद्दी पर आसीन हुए। इसीलिए आप को ‘’बाला प्रीतम '’ के नाम से भी जाना जाता है। एक बार जिला अम्बाला के पंजखोरे गांव में एक पंडित कृष्ण लाल ने छोटे से बालक को गुरु मानने से इन्कार करते हुए कहा कि यदि गुरु जी गीता के श्लोकों का अर्थ करके दिखाये तो मै इन्हें गुरु मान लूँगा। गुरु जी ने कहा आप किसी को ले आएं श्री गुरु नानक की कृपा दृष्टि की तसल्ली मै करवा दूँगा। पंडित एक महा मूर्ख को ले आया। गुरु जी की कृपा से वह मूर्ख एक विद्वान की तरह गीता के श्लोकों का अर्थ सुनाने लगा। एक दिन गुरु जी को तेज बुखार हुआ। आपके शरीर पर चेचक के लक्षण दिखाई देने लगे। अपना जाने का समय नजदीेक जान कर साध संगत को आदेश दिया कि ‘बाबा बकाला' जिसका भाव था कि हमारे बाद गुरु गद्दी की जिम्मेदारी संभालने वाला महापुरुष गाँव बकाले (अमृतसर) में है। यह कह कर आठ वर्ष की आयु में आप गुरुपुरी सिधार गये जिस स्थान पर आपका अन्तिम संस्कार हुआ वहाँ अब गुरुद्वारा बाला साहिब है। कार्यक्रम का संचालन स0 सतपाल सिंह ‘‘मीत’’ ने किया।


दीवान की समाप्ति के पश्चात लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिंह बग्गा ने आई साध संगत को साहिब श्री गुरु हरिकिशन जी के गुरु गद्दी दिवस की बधाई दी।  गुरु का प्रसाद श्रधालुओं में वितरित किया गया।


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