शरीर को मथुरा बनाना हैं और हृदय को गोकुल



हम तीर्थयात्रा करें, वह तो ठीक है किंतु प्रयास करें कि शरीर को ही तीर्थ सा पवित्र बनायें और हृदय को गोकुल बनाओ। 

गो शब्द के कई अर्थ हैं- इंद्रिय, भक्ति, गाय, उपनिषद आदि। इंद्रियों को विषयों की ओर बढ़ने देने की अपेक्षा प्रभु की ओर मोड़ दो क्योंकि उनके स्वामी श्रीकृष्ण ही हैं। 

यमुना भक्ति है। शरीर को मथुरा बनाना हैं और हृदय को गोकुल। तो भक्ति यमुना के किनारे पर बसना होगा। भक्ति का किनारा कभी ना छोड़ना। तभी तुम्हारा शरीर मथुरा और हृदय गोकुल बन पायेगा।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें