काजीरंगा राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, असम, भारत



काजीरंगा नेशनल पार्क भारत के असम राज्य के गोलाघाट और नागांव जिले में स्थित एक बहुत ही प्रसिद्ध नेशनल पार्क है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान दुनिया का एक ऐसा नेशनल पार्क हैं। जो एक सींग वाले गैंडों की सबसे अधिक आबादी (दो-तिहाई) के लिए प्रसिद्ध है। मार्च 2015 में जनगणना के अनुसार, काजीरंगा नेशनल पार्क में लगभग 2,401 गैंडे थे। बता दें कि इस राष्ट्रीय पार्क को 1985 में विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित किया गया है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की संरक्षित और निरंतर जैव विवधता इसे बेहद खास बनाती है, जिसकी वजह से इस पार्क में कई तरह के जीव पाए जाते हैं। इस पार्क को भारतीय बाघों का घर भी कहा जाता है। काजीरंगा के जल निकाय और जंगल इस पार्क को बेहद खूबसूरत बनाते हैं। जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि इस यहाँ एक गांव के पास एक लड़की रहती थी जिसका नाम रंगा था जिसको काजी नाम के एक लड़के से प्यार हो गया। घर वालों के न मानने पर दोनों घर से भाग गए और जंगल में गायब हो गये। इसलिए इस पार्क का नाम उन दोनों के नाम से काजीरंगा रखा गया है।

काजीरंगा के बारे में एक कहानी और सामने आती है जिसमे बताया गया है कि 16 वीं शताब्दी के दौरान एक संत-विद्वान श्रीमंत शंकरदेव ने एक निःसंतान दंपति काज़ी और रंगाई को आशीर्वाद दिया और उनसे कहा कि वो इस जगह पर एक तालाब बनाए जिससे कि उनका नाम हमेशा जाना-जाए।

1 जून 1905 में 232 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को काजीरंगा प्रस्तावित रिजर्व फ़ॉरेस्ट बनाया गया था। इसके इस जगह को 1908 में  रिज़र्व फ़ॉरेस्ट घोषित कर दिया गया था। इसका नाम बदलकर 1916 में काज़ीरंगा गेम रिज़र्व रख दिया गया। बाद में वर्ष 1950 में इस पार्क को काजीरंगा वन्यजीव अभयारण्य बना दिया गया। 1968 में असम राष्ट्रीय उद्यान अधिनियम पारित हुआ और काजीरंगा को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया। 11 फरवरी 1974  इस पार्क को भारतीय सरकार से आधिकारिक मान्यता प्राप्त हुई। बता दें कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का नाम यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है।

काजीरंगा नेशनल पार्क में एक सींग का गैंडा, जंगली पानी वाली भैंस (वाइल्ड वाटर बफेलो) और पूर्वी दलदली हिरण दुनिया में सबसे अधिक आबादी में पाएं जाने के लिए फेमस है। इस नेशनल पार्क में कुल मिलकर 35 स्तनधारी प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन इनमें 15 अब खतरें में हैं। इसके अलावा काजीरंगा में पाए जाने वाले अन्य जानवरों में हाथी, गौर, सांभर, जंगली सूअर, बंगाल लोमड़ी, गोल्डन सियार, आलसी भालू, भारतीय मोंटजैक, भारतीय ग्रे नेबला, छोटा भारतीय नेबला के नाम शामिल हैं। इसके साथ एक सींग वाले गेंडे, जंगली जल भैंस, दलदल हिरण, एशियाई हाथी और शाही बंगाल बाघ सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। काजीरंगा में प्रति 5 वर्ग किमी में एक बाघ पाया जाता है। इसके अलावा पार्क में जंगली बिल्लियों की आबादी 118 है।

अगर काजीरंगा में पाए जाने वाले पक्षिओं के बारे में बात करें तो इनमे सफेद-सामने वाले हंस, फेरुगिन डक, बेयर पोचर्ड बतख, काले गर्दन वाले सारस, एशियाई ओपनबिल कॉर्क, बेलीथ के किंगफिशर, सफेद बेल वाले बगुले, डालमेशियन पेलिकन, स्पॉट-बिल्व्ड के नाम शामिल हैं। इस नेशनल पार्क में गिद्धों की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिनके नाम हैं भारतीय गिद्ध (इंडियन वल्चर), दुबले पतले गिद्ध (सिलेंडर बिल्ड वल्चर), इंडियन वाइट वल्चर है।

काजीरंगा में में पाए जाने वाले वनस्पति की समृद्ध विविधता यहाँ हर साल ने वाले पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती है इसके साथ उनके मन को एक अलग शांति का अनुभव कराती है। बता दें कि राष्ट्रीय उद्यान ब्रह्मपुत्र नदी की बाढ़ से घिरा हुआ क्षेत्र है जिसकी वजह से यहाँ पाए जाने वाले पौधों, जानवरों और पक्षियों को मदद मिलती है।

काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में तीन प्रमुख प्रकार की वनस्पतियां पाए जाते हैं जिनमे कई तरह की घास शामिल हैं। बड़े घास, छोटे घास के अलावा यहाँ पर उष्णकटिबंधीय आर्द्र और सदाबहार वन पाए जाते हैं। यहां पर पाए जाने वाले जलीय वनस्पति जैसे कमल, जलकुंभी और जल लिली आदि इस जगह के वातावरण को बेहद सुंदर बनाते हैं। वर्ष 1986 में किए गए वनस्पतियों के सर्वेक्षण की माने तो यहां पर 41% ऊँचे हाथी घास (टाल एलीफैंट ग्रास), 29% खुले जंगल, 11% छोटी घास, 8% नदियाँ और अन्य जल स्त्रोत, 6% रेत और 4% स्वामपलैंड पाए जाते हैं

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटक दो तरह की सफारी, हाथी सफारी और जीप सफारी की सुबिधा मिलती हैं। इन दोनों ही सफारी की मदद से आप काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के जीवजन्तु और जंगलो के आकर्षक दृश्य को देख सकते है।

अगर आप काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में जीप सफारी का आनंद लेना चाहते हैं तो बता दें कि इसका समय सुबह 07:00 बजे से 09:30 बजे तक या दोपहर में 1:30 बजे से 3:30 तक है।

यदि आप काजीरंगा में हाथी पर बैठकर जंगल की सैर करना चाहते हैं, तो काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में आपको हाथी की सवारी यहाँ पाए जाने वाले गैंडों और अन्य वन्यजीवों का आकर्षक नजारा दिखाएगी। वन विभाग द्वारा काजीरंगा में हाथी सफारी दिन में दो बार (सुबह और शाम) की जाती है। जिसमे एक हाथी सफारी में 4 चार पर्यटकों और एक हाथी चालक को बठने की अनुमति होती है। इस सफारी शुल्क में सवारी शुल्क और प्रवेश शुल्क दोनों शामिल होते हैं।

काजीरंगा में हाथी सफारी सुबह 05:30 बजे से 07:30 बजे तक या दोपहर में 3:00 बजे से 4:00 बजे तक की जा सकती है।

अगर आप काजीरंगा नेशनल पार्क की यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें कि यहां पर घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से अप्रैल के महीने तक का रहता है। असम में मानसून आने पर और मानसून से पहले भारी वर्षा होती है। जिसके चलते ब्रह्मपुत्र नदी अपने उफान पर होती है। इसलिए काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ आ जाती है जिसकी वजह से निचले इलाकों में और मैदानों में पानी भर जाता है। ज्यादा बरसात के समय काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के जानवर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में पलायन करते हैं। इसलिए नवंबर से अप्रैल तक काजीरंगा की यात्रा करना आपके लिए बेहद सुखद रहेगा।

यहां भोजन के लिए सबसे सुविधाजनक विकल्प रिसॉर्ट्स, लॉज और होटल हैं जो सभी पर्यटकों की जरूरतों का विशेष रूप से ध्यान रखते हैं। इनके अलावा स्थानीय ढाबों के संदर्भ काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में सीमित विकल्प हैं।

आप विभिन्न प्रकार की स्थानीय असमिया तैयारियों में शामिल हो सकते हैं जिसमें लक्सा, खार, टेंगा के साथ-साथ कुछ अन्य मछली व्यंजनों और चावल के व्यंजन शामिल हैं। इसके साथ ही आप काजीरंगा में एक विशिष्ट भारतीय भोजनसूची की लोकप्रिय वस्तुओं का आनंद ले सकते हैं।

काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में दुनिया भर से हर साल काफी बड़ी मात्रा में पर्यटक आते हैं, यहाँ आने वाला हर पर्यटक इस जगह की सैर करने के बाद इसे हमेशा याद रखता है। अगर आप भी काजीरंगा नेशनल पार्क जाने का प्लान बना रहे हैं तो आप यहाँ सभी तरह के परिवहन साधनों से पहुँच सकते हैं।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान जाने के लिए जोरहाट शहर में सबसे निकटतम हवाई अड्डा है जिसकी दूर इस पार्क से 96 किमी है। इसके बाद काजीरंगा के सबसे पास का हवाई अड्डा गुवाहाटी में है जो इससे 225 किलोमीटर दूर है। इन हवाई अड्डो पर नियमित उड़ाने मिल जाती हैं। जो दुनिया के बड़े देशों से भारत के प्रमुख शहरों को जोड़ती है।

रेल से यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए काजीरंगा से सबसे पास का रेलवे स्टेशन फुरकिंग में है जो 80 किमी की दूरी पर स्थित है। यह रेलवे स्टेशन देश के सभी बड़े और प्रमुख शहरों से रेल लाइन से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा काजीरंगा के पास गुवाहाटी रेलवे स्टेशन भी है।

काजीरंगा दुनिया के प्रमुख शहरों से नेशनल हाईवे 37 की मदद से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। इस मार्ग पर कई सार्वजनिक और निजी बसें चलती हैं। जिनकी मदद से आप काजीरंगा नेशनल पार्क पहुंच सकते हैं।


-निखिलेश मिश्रा

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