लौकिक सुखों में फँसा व्यक्ति ईश्वर की भक्ति नहीं कर पाता
लौकिक सुखों में फँसा व्यक्ति ईश्वर भजन नहीं कर पाता। लौकिक सुख के प्रयत्न सफल हो जायें तो मानो कि ईश्वर की कृपा नहीं हुई है। लौकिक सुख की इच्छा और प्रयत्न असफल रहे तो समझो कि ईश्वर की कृपा हुई। भगवान का नाम जप पाप को भस्मीभूत कर देता है। हर प्रकार की शुद्धि की प्राप्ति के लिए हरे कृष्ण महामंत्र का जप ही एक मात्र उपाय है।
भगवान की भक्ति करने वालों को इहलोक और परलोक, दोनों में मान प्राप्त होता है। भगवान के नाम का कीर्तन करने से अजामिल भगवद्धाम पहुँच गया। इतने पाप करने के बाद भी अजामिल को सद्गति प्राप्त हुई। नाम में निष्ठा रखने का ही यह फल है।