घर पर ही मिल रहा रोजगार, नहीं करना पड़ेगा शहरों में पलायन

लखनऊ। कोरोना काल में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) ने इतिहास रच दिया है, जो रोजगार के क्षेत्र में आने वाले दिनों में एक मिसाल के तौर पर देखी जाएगी। इससे लोगों को घर पर ही रोजगार मिलेगा और उन्हें शहरों में पलायन नहीं करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस साल दो लाख समूह और बनाने की कार्यवाही शुरू हो गई है। साथ ही 2024 तक 10 लाख समूह और एक करोड़ महिलाओं को एसएचजी से जोड़ने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य शुरू कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान और लोकल फॉर वोकल को प्राथमिकता देते हुए सीएम योगी ने ग्रामीण क्षेत्रों में घर पर ही रोजगार दिलाने की मुहिम छेड़ दी है। उन्होंने हाल ही में 58 हजार महिलाओं को उनके गांव में ही सामुदायिक शौचालय के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा गांवों में ही बैंकिंग सुविधाएं दिलाने के लिए उन्होंने 56 हजार बीसी सखी की नियुक्ति की है, उनके प्रशिक्षण की भी कार्यवाही चल रही है।

सिर्फ कोरोना काल में एसएचजी ने एक करोड़ 28 हजार ड्रेस और एक करोड़ मास्क बनाए हैं। इतना ही नहीं, 1,51,981 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ड्राई राशन का वितरण और 18 जिलों के 204 विकास खण्डों में टेक होम राशन का वितरण और 1,010 उचित दर की दुकानों का संचालन भी एसएचजी कर रहे हैं। तीन लाख 93 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 45 लाख से अधिक परिवारों के वित्तीय और सामाजिक समावेशन से किया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के एमडी सुजीत कुमार ने बताया कि यह बड़ी बात है कि महिलाओं को घर बैठे ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।

प्रदेश में स्वयं सहायता समूह के जरिए हर जिले में, हर स्तर पर नई कहानी लिखी जा रही है। झांसी जिले की महिला स्वयं सहायता समूह बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी ने पिछले एक साल में 46 करोड़ रुपए का कारोबार किया है और 2.26 करोड़ रुपए का लाभ कमाया है। समूह का लक्ष्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के पांच जिलों झांसी, जालौन, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट जिले के छह सौ गांवों में करीब 48 हजार दूध उत्पादक महिला सदस्यों को जोड़कर करीब डेढ़ लाख लीटर दूध प्रतिदिन संग्रहण करना है। इसके सीईओ ओपी सिंह का कहना है कि मार्च तक 42 हजार बहनों को और जोड़ने की कोशिश है। कोरोना काल में काफी प्रवासी दिल्ली से लौटे थे, हमने प्रशिक्षण देकर दो सौ लोगों को डेयरी उद्योग से जोड़ा है। अब वह अपने घर पर ही 10 हजार से अधिक कमा रहे हैं।

प्रयागराज जिले में ईमानदार स्वयं सहायता समूह ने 17 हजार स्कूल ड्रेस की सिलाई की और इसे सरकार की ओर से चलाए जा रहे प्राईमरी स्कूलों में बच्चों को बांटने के लिए दिया गया। इससे उन्हें एक लाख 70 हजार की कमाई भी हुई। इतना ही नहीं, कोरोना काल में समूह की ओर से 40 हजार मास्क तैयार किए गए। समूह की बीबी फातिमा बताती हैं कि कोरोना काल में हमें सरकार की ओर से काम दिया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात थी। अपनी कमाई से उन्होंने कोरोना काल में न सिर्फ अपना घर चलाया, बल्कि समूह के पैसे से और मशीनें भी खरीदी गईं।

प्रदेश में कम ही लोग जानते होंगे कि चंदौली जिले में आईटीसी और स्वयं सहायता समूह की 66 महिलाओं के सहभागिता से मंगलदीप ब्रांड की अगरबत्ती बनाई जाती है। इसके अलावा चंदौली में ही स्वयं सहायता समूह की 90 महिलाएं खुद मशीन खरीद कर अगरबत्ती बनाती हैं और इसकी बिक्री स्थानीय बाजार में करती हैं। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में चढ़ाए गए फूलों और प्रसाद की प्रासेसिंग आईटीसी द्वारा की जाती है और प्रासेसिंग के बाद रॉ मटैरियल आईटीसी द्वारा समूह की महिलाओं को दिया जाता है।

समूह की महिलाएं आईटीसी द्वारा दिए गए मशीन और रॉ मटैरियल से अगरबत्ती बनाती हैं और बनाई हुई अगरबत्ती को आईटीसी चंदौली को बिक्री के लिए भेज देती हैं। जिला मिशन प्रबंधक शशिकान्त सिंह बताते हैं कि जिले में 84 सौ से ज्यादा स्वयं सहायता समूह हैं। इसमें सबसे ज्यादा अगरबत्ती और जरी जरदोजी का कार्य किया जा रहा है। पैडल मशीन और आटोमेटिक मशीन के जरिए अगरबत्ती बनती है। एक महिला की औसतन आमदनी 6 से 10 हजार रुपए महीना है।

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