भाजपा ने चंद कारपोरेट दोस्तों के लाभ के लिए देश के किसानों का जीवन दांव पर लगा दिया है- अखिलेश यादव
लखनऊ। देश का किसान आज उद्वेलित है। अपनी खेती और फसल को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आया है। वजह है खेती और फसलों पर बड़े उद्योगपतियों की नजरें। किसान बेबस है। सरकारों की गलत नीतियों से खेती में लागत बढ़ी है। खाद-बीज, कीटनाषक समेत अन्य निवेषों के दाम बढ़े हैं लेकिन फसलों की कीमत उस अनुपात में नहीं बढ़ी।
इस पर केन्द्र की भाजपा सरकार ने नए कृषि कानूनों से किसानों को बधुंआ मजदूर बनाने का इंतजाम कर दिया है। अब किसान जाए तो कहां जाए। उसकी फसल के साथ जमींन पर भी संकट बढ़ गया है। ऐसे में किसान नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की कृषि नीतियां और उनके विचार बेहद प्रासांगिक हो गए हैं। 23 दिसंबर 1902 को किसान परिवार में पैदा हुए चौधरी चरण सिंह मानते थे देश की खुशहाली का रास्ता गांवों से होकर जाता है। किसान खुशहाल रहेगा तो देश खुशहाल होगा।
देश की दो तिहाई आबादी अब भी खेती पर निर्भर है। यह विडम्बना है कि किसान कड़ाके की सर्दी में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। इस संघर्ष में दर्जनों किसान अपनी जान गवां चुके हैं लेकिन देश की कारपोरेट समर्थक सरकार हठधर्मी पर अड़ी है। केन्द्र की भाजपा सरकार किसानों के लिए पूरी तरह से संवेदनहीन हो चुकी है। सरकार ने अपने चंद कारपोरेट दोस्तों के लाभ के लिए पूरे देश के किसान के जीवन को दांव पर लगा दिया है। चौधरी चरण सिंह को जब भी प्रदेश और देश की सरकार में मौका मिला तब-तब उन्होंने किसानों के हित में निर्णय लिए।
चौधरी साहब कृषि क्षेत्र की इस निरंतर उपेक्षा के चलते ही कांग्रेस के विरोधी बन गए थे। आज भाजपा सरकार किसानों को मार रही है। उनके साथ धोखा कर रही है। अखिलेश स्वयं कृषक परिवार के होने के नाते जानते हैं कि कृषि का क्या महत्व है। उन्होंने अपने समय में कुटीर उद्योग हस्तशिल्प को बढ़ावा दिया था। आज चौधरी चरण सिंह के पदचिन्हों पर चलते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आज देश में सही मायनों में समाजवादी पार्टी ही अकेली पार्टी है जो किसानों और गांवों के उन्नयन के लिए समर्पित भाव से काम करती है।