अंते मति सः गति

अंते मति सः गति। जीव की मृत्यु के समय जैसी मति या स्मृति रहती है उसकी आगे वैसी ही गति होती है अर्थात उसी के आधार पर अगला जन्म प्राप्त होता है।

कुछ लोग सोचते हैं कि जीवन भर कुछ भी करते रहो अंत समय मे भगवान का स्मरण कर लेंगे। ऐसा होता नहीं है क्योंकि अंत समय में वही बातें, व्यवहार स्वरूप ध्यान में आता है जो जीवन भर किया है।

अंत समय मे वही याद आयेगा जो हमने जीवन भर कमाया है। अंत समय प्रभु की स्मृति बनी रहे इसके लिए निरंतर भगवद भजन, नामजप, सेवा, स्मरण करते रहे।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें