नए कृषि कानूनों का अधिनियमित होना 'भारतीय कृषि के इतिहास में है सबसे महत्वपूर्ण क्षण’
सभी तीन कृषि बिलों का उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करना है और कृषि क्षेत्र का विकास, किसानों का कल्याण में सशक्त भूमिका निभाना है लेकिन नए कानून से संबंधित कुछ गलत धारणाएं और गलत व्याख्याएं हैं। जो कई किसान विरोधियों दवारा किसानों के मन में अनावश्यक भय और चिता का वातावरण पैदा करते हैं, उनमें से कुछ निम्नानुसार हैं:-फसलों की खरीद में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी समाप्त होगी ऐसा इस कानून को लेकर भय बनाया जा रहा है, जान बूझ कर किसानों के दिमाग में संशय डाले गए हैं, जबकि इन बिलों में एमएसपी का कोई उल्लेख नहीं है, वरन यह बिल किसानों के लिए बाजार के दायरे को और अधिक विस्तृत बनाता है। जिसमें वे निर्धारित एमएसपी से अधिक कीमत पा सकते हैं।
यहां तक कि खुद पीएम मोदी ने दावा किया कि इन कृषि कानूनों के तहत मौजूदा एमएसपी की गारंटी को कोई खतरा नहीं है।मौजूदा एपीएमसी या मंडी से जुड़े कुछ हित धारक ज्यादातर दलाल या 'आढतियां’ अपनी आय में नुकसान के बारे में चितित हैं, लेकिन उन्हें बाजार में एकाधिकार/कब्जाकर रखा है। इस बात को किसान भाईयों को समझना होगा, जिससे बड़े पैमाने पर किसानों का शोषण रूक सकता है। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य जो इस तरह के विरोध प्रदर्शन के केंद्र बने हुए थे।
मंडी बहत मजबूत है अगर हम पंजाब में गेहं के उत्पादन के संबंध में बात करते हैं, तो कृषि खरीद लगभग 90 प्रतिशत एपीएमसी और संबंधित मंडी द्बारा की जाती है, जिसमें बिचैलिया 2.5 प्रति किग्रा कमीशन लेते है। इसलिए यह आश्चर्यजनक तथ्य नहीं है कि इन राज्य में इस तरह के बिचैलिए अपने व्यवसाय के बारे में चितित हैं। क्योंकि मंडी शुल्क या उपकर जो राज्य सरकार के खजाने को देता है। बिचैलियों दावा करता है। वह राजस्व सृजन करता है। लेकिन यह बिचैलिया, दलाल किसानों के लिए हितकारी नही है।
अर्द्ध कॉन्ट्रैक्टफाîमग के बारे में एक गलत धारणा भी है, जिसमें वे मानते हैं कि समझौतों की शर्तों पर बातचीत करने की स्थिति में किसान कमजोर पड़ जाएंगे, लेकिन वे इस तथ्य को महसूस नहीं कर सकते कि इसतरह के समझौते किसानों के लिए अप्रत्याशितता (मौसमी, आदि) के जोखिम को स्थानांतरित करेंगे। इसलिए यह अनुबंध आधारित खेती किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा।मौजूदा आवश्यक वस्तुओं अधिनियम में संशोधन के लिए विपक्ष द्बारा विरोध भी किया गया था, लेकिन वे इस बात को महसूस कराने में असफल रहे कि देश की समग्रविकास के लिए जिसमें 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रमुख भूमिका निभाता है, हमें और अधिक निवेशकों को आकर्षित करना होगा। निजी संस्थाओं के इस तरह के निवेश से कृषि क्षेत्र का ढांचागत विकास और आधुनिकीकरण भी होता है।
इन तीन नए कृषि कानूनों के सभी बुनियादी पहलुओं को व्यापक रूप से अध्ययन करने के बाद मेरा कहना है राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट, 2018 के अनुसार भारत में 1,34,560 आत्म हत्याए दर्ज की गईं, जिनमें से 10,350 किसान और ये हैं केवल रिपोर्ट किए गए मामलों से पता चलता है कि मौजूदा प्रणाली में बड़ी खामियां हैं जिन्हें बदलने की जरूरत है। ताकि यह आत्महत्याओं का दौर रूके। मेरा यह भी मानना है कि राष्ट्र के हाशिए पर या शोषित किसानों की सेवा के लिए सभी निस्वार्थ इरादों के साथ केंद्र सरकार द्बारा मसौदा तैयार किया गया है। बावजूद ये बिल कृषि क्षेत्र की मांग के अनुसार भविष्य में कुछ परिवर्तनों या समीक्षा की जा सकती हैं। क्योंकि किसानों का कल्याण सर्वोपरि है और हमारी सरकार की राजनैतिक इच्छाशक्ति किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में खुशी और विकासनिश्चितकरने के लिए पूरी दृढ़ताऔर दृढ़ संकल्प के साथप्रतिबद्ध है-जो हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है।
जुगलसिंह ठाकुर
सांसद(राज्य सभा), गुजरात