किसी दबाव में आये बिना, सत्य पर अडिग रहना "स्वाभिमान" है



स्वाभिमान का मतलब अपनी बात पर अड़े रहना नहीं अपितु सत्य का साथ ना छोड़ना है। दूसरों को नीचा दिखाते हुए अपनी बात को सही सिद्ध करने का प्रयास करना यह स्वाभिमानी का लक्षण नहीं अपितु दूसरों की बात का यथायोग्य सम्मान देते हुए किसी भी दबाब में ना आकर सत्य पर अडिग रहना यह स्वाभिमान है।

अभिमानी वह है जो अपने अहंकार के पोषण के लिए दूसरों को कष्ट देना पसंद करता है। स्वाभिमानी वह है जो सत्य के रक्षण के लिए स्वयं कष्टों का वरण कर ले।

मै जो कह रहा हूँ वही सत्य है, यह अभिमानी का लक्षण है और जो सत्य होगा मै उसे स्वीकार कर लूँगा यह स्वाभिमानी का लक्षण है। अपने आत्म गौरव की प्रतिष्ठा जरुर बनी रहनी चाहिए मगर किसी को अकारण, अनावश्यक झुकाकर, गिराकर या रुलाकर नहीं।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें