राजधानी में सड़कों में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क है- पूर्व पार्षद मुकेश सिंह चौहान

लखनऊ। नगर विकास मंत्री नगर निगम के तीन वर्ष के कार्यकाल पूरा होने पर चौथे और पांचवे वाटर वर्क्स के निर्माण की बात करते तो शायद राजधानीवासियों के लिए एक सुखद कदम होता। राजधानीवासियों से भाजपा ने शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु तमाम वादे किये थे लेकिन अभी तक लोगों को शुद्ध पेयजल भी समुचित तरीके से नहीं मिल पा रहा है। लखनऊ नगर निगम पर विगत 25 वर्षों से भाजपा का शासन है लेकिन आज भी लखनऊ की सड़कें बहुत ही खस्ताहाल हैं, विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ। थोड़ी सी बारिश में ही लखनऊ पूरी तरह जलमग्न हो जाता है।

सरकार में उपमुख्यमंत्री के साथ ही मंत्रिमण्डल में लखनऊ के सर्वाधिक मंत्री, सांसद से लेकर विधायक और वार्डों के सर्वाधिक सभासद व मेयर तक भाजपा के होने के बाद भी जनता पानी के शुद्ध पानी के लिए तरस रही है। यह राजधानी के लिए एक विडम्बना ही कहा जायेगा। स्वच्छता के नाम पर दीवारेां की रंगाई पुताई नगर निगम द्वारा कराकर और नारे छपवाकर अपनी पीठ खुद थपथपाई जा रही है लेकिन वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है। नगर निगम के दावे भी भाजपा के जुमले की तरह सिर्फ जुमले साबित हो रहे हैं। लखनऊ शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का कार्य नहीं हो रहा है।

माननीय महापौर द्वारा बड़े-बड़े वादे और दावे किए जा रहे हैं लेकिन स्थिति जस की तस है। शिवरी प्लान्ट भी बन्द पड़ा है। पूरे शहर की सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। पूरे शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर दिखाई दे रहे हैं उनके उठाने का उचित प्रबन्ध आज तक नहीं हो पाया है जिसके चलते लोगों को गन्दगी से दो चार होना पड़ रहा है।

लखनऊ के नगर विकास मंत्री होने के बावजूद भी सड़कें गड्ढामुक्त नहीं हो पा रही हैं। जबकि मुख्यमंत्री बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं और राजधानी में यह नहीं पता चल पा रहा है कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क है। सीवर व्यवस्था आज तक राजधानी में पूरी तरह नहीं हो पाया है। नालियां गन्दगी से बजबजा रही हैं।

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