जिसकी दृष्टि भगवान पर होती है उसका हृदय बलवान होता है

अर्जुन ने अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित नारायणी सेना को छोड़कर निःशस्त्र भगवान श्री कृष्ण को स्वीकार किया था। दुर्योधन ने भगवान को छोड़कर उनकी नारायणी सेना को स्वीकार किया था। अर्जुन की दृष्टि भगवान पर थी और दुर्योधन की दृष्टि वैभव पर थी।

जिसकी दृष्टि भगवान पर होती है उसका हृदय बलवान होता है। वह सदा निश्चिंत और निर्भय रहता है, क्योंकि भगवान का बल सच्चा है। जिसकी दृष्टि सांसारिक वैभव पर होती है उसका हृदय कमजोर होता है। क्योंकि संसार का बल कच्चा है। अपना कल्याण चाहने वाले साधकों को अधर्म अन्याय आदि का सर्वथा त्याग करके, एकमात्र भगवान का आश्रय लेकर, अपने धर्म का पालन करना चाहिए।

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